नागपुर: मराठा आरक्षण मसले को लेकर सरकार पर आक्रामक हमला करनेवाले विपक्ष को शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने जवाब दिया। उन्होंने सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिता के संबंध में जानकारी दी। मंगलवार को विधान भवन परिसर में उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर हमने जो आंकड़ेवारी दी है। वह अगर दो साल पहले ही दे दी गई होती तो न्यायालय आरक्षण पर स्थगति नहीं देता। इन दो सालों में हमने मराठा आरक्षण को लेकर अलग अलग सबूत जुटाए हैं। इतिहास में दर्ज उल्लेखों और सरकारी रिपोरर्टों को लेकर संशोधन किया है। इन सारे तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने मराठा समाज के आरक्षण विषय को लेकर प्रमाण मांगे हैं।
इन तथ्यों को लेकर याचिका दायर की गई है। इस प्रक्रिया को करने के बाद समझ में आता है कि यह कितना कठिन काम है। मंडल आयोग ने कहा भी था कि मराठा कुनबी समाज जमींदार रहा है। लेकिन 1980 के बाद कृषि की दयनीय स्थिति के कारण मराठा आरक्षण की स्थिति बिगड़ती गई है। इस वर्तमान की परिस्थिति को हलफनामें में दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि मराठा समाज केअलग आरक्षण की मांग के कारण ही न्यायालय ने अलग आरक्षण को स्थगिति दी थी। इस स्थगिति को टालने के लिए शपथ पत्र दिया गया है।