Published On : Mon, Jan 21st, 2019

हमारे विधायक और मुख्यमंत्री हमें कुछ दे नहीं पाए जो मिला था उसे भी छीन लिया-मिहान प्रकल्पग्रस्त आंदोलन समिति, नागपुर 

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नागपुर – मिहान के प्रकल्पग्रस्त शिवणगाँववासी 1200 परिवार आज तक न्याय की आस में बैठे है। इन्हे आशा थी कि उनके क्षेत्र के विधायक और मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उनके न्याय करेंगे। लेकिन ये आस तब धरी की धरी तह जाती है जब विस्थापन तो छोड़िए प्रकल्पग्रस्तों के लिए प्राथमिक आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए आरक्षित साढ़े चार एकड़ जगह एक निजी शिक्षण संस्था को दे दी जाती है। एक ऐसी संस्था जिसके प्रमुख खुद बीजेपी के नेता और मौजूदा वक्त में राज्यपाल हो, वर्ष 2002 से कांग्रेस सरकार के मौजूदा कार्यकाल के वक्त से शिवणगाँव के लोगो के विस्थापन का मसला चल रहा है। 2002 से 2019 तक 17 साल का वक्त गुजर गया। लेकिन न मुआवजा न विस्थापन का पूरा काम हो पाया।

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मिहान प्रकल्पग्रस्त शिवणगाँव समिति के बाबा डवरे राज्य सरकार के इस काम को अधिकारों पर डाका डालने जैसा करार दे रहे है। उनके मुताबिक एक हफ़्ते के भीतर मुख्यमंत्री ने फ़ाइलों की ऐसी चकरी घुमाई की किसी को कानों-कान ख़बर नहीं लगी। यही मुख्यमंत्री जब विपक्ष में थे तब हमारे अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करते थे। अब जब वो खुद राज्य सरकार के प्रमुख है तो ऐसा हो गया। इतना ही नहीं जिस शिक्षण संस्था को ये ज़मीन वितरित कर दी गई वहाँ बनने वाली स्कुल का भूमिपूजन उन्हें के हस्ते हुआ। शिवणगाँव वासियों को इसकी ख़बर तब लगी जब भूमिपूजन का पंडाल लग चुका था। डवरे ने बताया कि वर्ष 2010 में साढ़े चार एकड़ ज़मीन तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आरक्षित की थी। इस जगह में विस्थापितों के लिए स्कुल,कॉलेज,दवाखाना,गार्डन जैसी प्राथमिक सुविधाओं को मुहैय्या करना था। इस जगह पर खुद चव्हाण ने भूमिपूजन भी किया था। लेकिन इस सरकार ने इन सुविधाओं का विकास तो किया नहीं बल्कि जगह के इस्तेमाल की शर्त को बदलकर ऐसी स्कुल को जगह दे दी जहाँ गाँव का कोई परिवार अपने बच्चे को पढ़ायेगा ऐसा सपने में भी सोच नहीं सकता है।

बाबा डवरे का कहना है कि हमारे विधायक की अपने क्षेत्र में आने वाले प्रकल्पग्रस्त लोगों के लिए अब इतनी उपलब्धि रही की वो हमें न्याय न दिला पाये हो लेकिन जो कुछ भी पिछली सरकार ने उन्हें दिया था वह भी छीन लिया। सरकार को आये और फडणवीस को मुख्यमंत्री बने चार साल से ज्यादा का समय हो चुका है। हमें उम्मीद थी की हमारे क्षेत्र का नेता मुख्यमंत्री बना है तो हमारे आँसू पोछेगा लेकिन हुआ एकदम उल्टा ही। ख़ास है कि जिन लोगों के लिए ये जगह आरक्षित थी। उनसे एक बार पूछा भी नहीं गया,अब जब हम स्कुल का भूमिपूजन होने के बाद मिहान के अधिकारियों से जवाब माँगने गए तो हमें बताया गया है कि जो स्कुल बनने वाली है वहाँ आरटीई ( शिक्षा के अधिकार के तहत ) प्रकल्पग्रस्त परिवार के बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी। लेकिन बाबा डवरे सवाल उठाते है कि आरटीई में केवल 10 फीसदी बच्चों को दाखिला मिलता है। ऐसे में इसकी क्या गैरेंटी के भारतीय विद्या भवन की इस स्कुल में सभी बच्चों को दाखिला मिलेगा। शिक्षा वर्त्तमान दौर में व्यवसाय है ये सरकार को भी पता है तो क्या हमारे बच्चों के शिक्षा के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री ने संस्था के साथ कोई लिखित क़रार किया है।

डवरे के अनुसार इस सरकार को लेकर हमें बड़ी आस थी जो अब टूट चुकी है। सरकार और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ मिहान प्रकल्पग्रस्त शिवणगाँव समिति फिर लड़ाई लड़ेगी। अब तक जिन कुल पांच-छह परिवारों को मुआवजा मिला है उनका मसला अदालत में चल रहा है। जरुरत पड़ी तो स्कुल को ज़मीन आवंटित करने को लेकर समिति अदालत में जाएगी। बुधवार को समिति की बैठक आयोजित की गई है जिसमे लड़ाई कैसे लड़नी है इसकी रूप रेखा तैयार होगी।

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