Published On : Fri, Sep 21st, 2018

महापौर की पोलखोल : भाजपा की अंदरूनी कलह का हिस्सा

Nanda Jichkar

नागपुर: शहर की देखभाल के लिए अंग्रेजों के ज़माने में मनपा की स्थापना हुई थी, जो इन दिनों अंदरूनी रूप से ढहते जा रही है. इसके कई उदहारण समय समय पर नज़र आते रहे. ताजा उदहारण महापौर का विदेश यात्रा के लिए बेटे को निजी सचिव बनाकर ले जाना. ऐसे में चर्चा यह है कि अगर विदेश यात्रा के बजाए इतनी ही ध्यान भांडेवाड़ी की समस्याओं पर देते तो शहर जरूर भला हो जाता. इससे महापौर का रुतबा और बढ़ता.

अब नई चर्चा ज़ोर पकड़ते जा रही है कि मनपा सत्ता में ही एक महापौर विरोधी तबके ने इस फर्जीवाड़े का ख़ुलासा कर महापौर की मुश्किलें बढ़ा दी. इसके पीछे का मकसद महापौर की गद्दी पर नजर होना बताया गया.

महापौर के कारनामें निश्चित ही गैरकानूनी हैं,लेकिन वह एकमात्र पदाधिकारी नहीं बल्कि मनपा के पुराने इतिहास को पलट कर देखा जाए तो कई दिग्गजों के नाम सामने आ सकते हैं. सच्चाई तो यह है कि वर्तमान मनपा की कार्यप्रणाली पर सिर्फ और सिर्फ सत्ताधारी दबी जुबान में समाधानी दिख रहे हैं. इसके अलावा शहर का एक भी नागरिक मनपा की वर्तमान कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है. मनपा की वित्तीय व्यवस्था चरमराई हुई है और पदाधिकारी की विदेश यात्रा से शहर और मनपा को क्या लाभ होगा यह सवाल बना हुआ है.

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मनपा आज केंद्र और राज्य की ओर टकटकी लगाए अनुदान,विशेष अनुदान,सहायता राशि की राह तक रही,ताकि निधि मिलते ही प्रशासन प्रस्तावित विकास कार्यो को सफल अंजाम दे सके. मनपा की देखभाल व्यवस्था, मूलभूत सुविधा की रोजाना पूर्ति,संपत्ति कर सम्बन्धी अड़चनों से आम नागरिक रोजाना जूझ रही है. प्रशासन सत्तापक्ष के दबाव में एप, ऑनलाइन के नाम पर निजीकरण और उसकी व्यवसायीकरण कर सत्तापक्ष के अनेक स्त्रोत का मूक प्रदर्शन कर उन्हें लाभ पहुंचा रही है.

मनपा में ठेकेदारी करने वाले मनपा के हिस्से की मलाई खाने में लीन हैं,इस व्यवस्था से उन्होंने जीवन शैली तो सुधार ले लेकिन मनपा को गड्ढे में डाल दिया. राज्य सरकार द्वारा मनपा को आज मिल रही जीएसटी की दोगुणा राशि मासिक की सख्त दरकार है.
उक्त ज्वलंत मसलों पर चिंतन मनन के बजाय सत्तापक्ष के पदाधिकारी रामाकोना-धापेवाड़ा(अलग-थलग ) हो चुका है. मुख्यमंत्री-गडकरी सर्वप्रथम अपने हुनर का इस्तेमाल कर मनपा की आर्थिक स्थिति मजबूत करेंगे इसकी अपेक्षा अब बेसब्री से की जा रही है.

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