नागपुर: एक ओर जहां मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कर्मचारियों की नियुक्ति की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कई मेडिकल कॉलेज अब भी पुराने ढर्रे से ही चल रहे हैं। आईसीयू सहित वार्डों में भी सीमित बेड हैं।
इस हालत में पृथक व्यवस्था कर बेड बढ़ाए जाने के बाद कर्मचारी न मिल ने से अस्पताल प्रशासन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने और बेड कम पड़ने के बाद मेयो में 250 तथा मेडिकल में 500, इस तरह कुल 750 बेड बढ़ाए गए हैं लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी बढ़े हुए बेड को मंजूरी नहीं मिली है।
पुरानी संख्या के अनुसार ही मैन पावर मंजूर हुई है। इनमें भी जो रफ़्तार में कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी जगह नई नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं। स्थिति यह है कि निवासी डॉक्टरों पर काम का बोझ बढ़ गया है। हालत इतने बिगड़ चुके हैं की कई बार परिजनों को ही अटेंडेंट का काम करना पड़ता है। मेयो में 2017 में सर्जिकल कॉम्प्लेक्स शुरू किया गया।
पहले 590 बेड थे लेकिन कॉम्प्लेक्स बनने के बाद 250 बेड बढ़ाए गए। इसमें अस्थिव्यंगोपचार, ईएनटी, नेत्र, व शल्यक्रिया विभाग शुरू किए गए हैं।