Published On : Mon, Sep 10th, 2018

नागपुरी मार्बत में उमड़ा जनसौलाब – भूरी मार्बत बनी सबके आकर्ण का केंद्र

Advertisement

नागपुर: नागपुर के सांस्कृतिक इतिहास की पहचान के रूप में पहचाने जानेवाले मार्बत महोत्वव का शहर में सोमवार को धूम रही. इस दौरान पारंपरिक रूप में काली और पीली मार्बत और बडग्या के जुलूस निकाले गए. लेकिन इस साल इस उत्सव में एक नई मार्बत भूरी मार्बत भी शामिल हुई. यह भूरी मार्बत का जुलूस जेंडर इक्वालिटी को लेकर दिए गए अदालत के फैसले के बाद जेंडर इक्वैलिटी ऑर्गनाइजेशन की ओर से रखा गया था. इस भूरी मार्बत पर सब की निगाहे लगी रहीं.

काली पीली मार्बत का यह जुलूस अंग्रेजों के नागपुर में शुरुआती दौर में शुरू किया गया था. जिसमेें काली मार्बत को भोंसले राजपरिवार की महारानी बकाबाई के नाम से पहचाना जाता है, जिसने 1857 के गदर में अंग्रेजों का साथा दिया था. इसे इतवारी के बारदाना बाजार के श्री देवस्थान पंच कमेटी की ओर से सन 1881 में शुरू किया गया था. इसके बाद तिर्हाने तेली समाज की ओर से 1885 में पीली मार्बत का जुलूस शुरू किया गया.

काली पीली मार्बत का मिलन इतवारी के नेहरू पुतला चौक पर हुआ, जहां श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ था. इस दौरान पुलिस का भी कड़ा बंदोबस्त रहा. जुलूस में शामिल लोगों इडा-पीड़ा, रोग राई घेउन जा ग मार्बत के मराठी भाषा में नारे लगाते रहे.

इस बार चुनावी साल होने के कारण मार्बत के साथ निकाले जानेवाले बजग्या पर भी चुनावी रंग खूब छाया रहा. पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों को लेकर भारत बंद के दौरान इस महोत्सव के माध्यम से सरकार पर जमकर निशाना साधा गया. सरकार विरोधी नारों में , वाह रे मोदी तेरा खेल, सस्ती दारू महंगा तेल जैसे चुटीले नारे शामिल थे. वहीं कई अन्य नारों से भी बडग्या के जरिए ज्वलंत मुद्दों पर निशाना साधा गया.