नागपुर: हर साल की तरह इस साल भी मारबत उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। शहर की खास विशिष्ठ सांस्कृतिक पहचान बन चुके इस उत्सव का यह 132 वा वर्ष है। चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था के इंतेजामों के बीच यह उत्सव और मारबत की यात्रा पूरी हुई। मारबत के जुलूस के साथ ही बडग्या के विषय भी समाज के भीतर चल रही विसंगतियों को दर्शाता है। जनता के दरबार में इन विसंगतियों पर तंज कसने के प्रतिक बडग्या होते है। शुक्रवार 2 सितंबर 2016 को जागनाथ बुधवारी के पीली मारबत चौक से तिर्हाने तेली समाज की ओर से आयोजित पीली मारबत की रैली की शुरुआत पारंपरिक ढंग से पूजा अर्चना के साथ हुई। ढोल नगाड़े, डीजे की तेज बजती धुन के साथ निकली रैली में सभी आयुवर्ग के लोग नाचते गाते दिखाई दिए। युवाओं की टोलियां डीजे की बीट्स में थिरकती नजर आयी। मारबत के मार्ग में उसे देखने के लिए महिलाएं भी बड़ी संख्या में दिखाई दीं।
इस उत्सव को लेकर आम लोगो में खास आकर्षण होता है। सबसे खास पल काली और पीली मारबत का मिलन होता है। जगन्नाथ बुधवारी इलाके में स्थित नेहरू पुतला चौक में मिलन के बाद उत्सव समाप्त होता है।
काली मारबत बुराई का प्रतिक मानी जाती है, तो पीली मारबत से मन की मुराद पूरी होने की आस्था लोगो में है। यही वजह है मारबत की पूजा की जाती है उसका आशीर्वाद लिया जाता है और इस उत्सव में कामना होती है कि मन में और समाज में छुपी बुराई को मारबत अपने साथ ले जाये। मारबत यात्रा के दौरान लोगो ने पूजा की, फूलो की बारिश की और आशीर्वाद हासिल किया।
इस उत्सव में बडग्या भी आकर्षण का केंद्र होते है। जिनके माध्यम से कई समाजिक विषयों को उठाया जाता है। इस वर्ष कई तरह के बडग्या निकाले गए। विदर्भ की भूमि में आकर विदर्भवादियों को धमकानेवाले नितेश राणे को खुली चेतावनी दी थी। बडग्या के माध्यम से राणे को विदर्भवादियों को हाथ लगाकर देखने की चुनौती दी गई है। साथ ही विदर्भ के नाम पर झूठे आश्वासन देनेवाले नेताओं का विरोध कर सीधे तौर से भाजपा सरकार को कटघरे में लाया गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों में आतंकवाद के खात्मे और आईसिस (आईएसआईएस) का विरोध किया गया। भ्रष्टाचार और घोटाला करनेवालों का भी विरोध किया गया। इसके साथ मोदी सरकार द्वारा 100 प्रतिशत एफडीआई नीति का भी विरोध किया गया। इसके अलावा कई तरह के अन्य विषयो पर भी बडग्या निकाले गये।