Published On : Mon, Oct 3rd, 2016

मराठा मूक मोर्चे का प्रतिउत्तर एट्रोसिटी कानून बचाओ आंदोलन के माध्यम से 

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Jogendra Kawade
नागपुर: मराठा समाज द्वारा एट्रोसिटी कानून को रद्द करने की माँग को लेकर शुरू आंदोलन के बीच अब एट्रोसिटी एक्ट बचाओ अभियान भी शुरू हो गया है। पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, दलित नेता और विधानपरिषद सदस्य प्रो जोगेंद्र कावड़े ने आगामी 10 अक्टूबर को एट्रोसिटी एक्ट बचाओ सम्मेलन लेने का ऐलान किया है। नागपुर में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में अनुसूचित जाती जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, भटके विमुक्त समाज के लोगो को शामिल होने के लिए आवाहन किया गया है।सोमवार को इस सम्मेलन की जानकारी देते हुए कावड़े ने कहाँ कि राज्य में शुरू मराठा मूक मोर्चा आंदोलन समाज को दो भागो में विभाजित कर रहा है। यह आंदोलन भले ही मूक हो पर इससे दो समाज भविष्य में आपस में टकराएंगे। यह कानून समाज के दबे कुचले लोगो के संरक्षण के लिए है। और एक सोची समझी रणनीति के तहत इसे ख़त्म करने की साजिश रची जा रही है। अगर कोई एक्ट का दुरूपयोग करते पाया जाता है तो उस पर नियम के अनुसार कार्यवाही होनी चाहिए नाकि कानून को ही ख़त्म करने की माँग की जानी चाहिए। उन्होंने कहाँ मराठा समाज को आरक्षण मिलाना चाहिए इसमें उनका कोई विरोध नहीं है। पर एट्रोसिटी कानून को रद्द करने की माँग जायज नहीं है। अब इस कानून से संरक्षण प्राप्त कर रहे समाज को भी अपने हक़ के लिए आगे आना होगा।

मराठा मूक मोर्चा राजनितिक आंदोलन
कावड़े के मुताबिक राज्य भर में शुरू मराठा समाज का मूक मौर्चा राजनितिक आंदोलन है और इसमें मराठा समाज का नेतृत्व करने वाले नेता परदे के पीछे से काम कर रहे है। उन्होंने राका सुप्रीमो शरद पवार की कानून में सुधार और बदलाव की बात को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहाँ कि वो संसद में इतने वर्षो तक रहे है तक इस संबंध में आवाज क्यों नहीं उठाई अब राज्य में 34  साल बाद मराठा समाज के प्रभुत्व की सत्ता नहीं है तब एट्रोसिटी कानून में बदलाव की मांग उठ रही है। यह मौर्चा राजनितिक है ऐसा आरोप कावड़े ने लगाया। यह मोर्चा भले ही शांत हो पर इससे राज्य में असुरक्षा बढ़ रही है। यह आंदोलन समाज के लिए आरक्षण मांगने का नहीं शक्तिप्रदर्शन का है। आगामी चुनावो को देखते हुए यह आंदोलन खड़ा किया गया है।
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