Published On : Tue, Sep 10th, 2019

ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग के लिए मेडिकल सीटों में कोटा

Advertisement

पीछे हटने पर जेल, जा सकती है डिग्री भी,ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों-मरीजों की संख्या के बीच अंतर को कम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की पहल,20% मेडिकल पोस्टग्रैजुएशन और 10% एमबीबीएस सीटें ऐसे डॉक्टरों के लिए रिजर्व करने का प्रस्ताव

नागपुर/मुंबई : ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों और मरीजों की संख्या के बीच अंतर को कम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 20% मेडिकल पोस्टग्रैजुएशन और 10% एमबीबीएस सीटें ऐसे डॉक्टरों के लिए रिजर्व करने का प्रस्ताव रखा है, जो अंदरूनी इलाकों में जाकर काम करने के इच्छुक हों। एमबीबीएस डॉक्टरों को पांच साल और पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टरों को सात साल के लिए काम करना होगा। हालांकि, इसके साथ की एक बड़ी शर्त भी रखी गई है कि कोर्स पूरा करने के बाद राज्य सरकार के अस्पतालों में काम नहीं करने पर पांच साल की जेल हो सकती है और डिग्री भी जा सकती है।

Gold Rate
15 july 2025
Gold 24 KT 98,200 /-
Gold 22 KT 91,300 /-
Silver/Kg 1,12,500/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

राज्य कैबिनेट ने पिछले सोमवार को इस फैसले को मंजूरी दे दी और अब महाराष्ट्र सरकार और महानगरपालिका मेडिकल कॉलेजों की सीटों के आवंटन नाम के बिल को कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। आरक्षित सीटें राज्य और नगर निकायों के मेडिकल कॉलेजों में ऐसे छात्रों के लिए होंगी जो सरकारी केंद्रों में लंबे समय के लिए काम करना चाहते होंगे।

शुरुआती अनुमान के मुताबिक करीब 450-500 एमबीबीएस और 300 पीजी सीटें आरक्षण के अंतर्गत आ सकती हैं। यह फैसला इसलिए किया गया है ताकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और दूसरी ग्रामीण, पहाड़ी और सुदूर इलाकों में चलने वाले सुविधा केंद्रों में तैनाती की जा सके। इस कोटा के अंतर्गत सीट पाने वाले स्टूडेंट्स को बॉन्ड भरना होगा जिसे तोड़ने पर पांच साल की सजा और डिग्री रद्द किए जाने की प्रावधान होगा। इस कोटा का इस्तेमाल सिर्फ राज्य के निवासी ही कर सकेंगे।’

इस प्रस्ताव पर एक्सपर्ट्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कइयों का कहना है कि राज्य मौजूदा बॉन्ड्स का क्रियान्वन ही प्रभावी तरीके से नहीं कर सकी है। पब्लिक मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले सभी एमबीबीएस और पीजी स्टूडेंट्स को डिग्री पूरी होने के बाद एक साल तक बॉन्ड पूरा करना होता है। ऐसे नहीं करने पर एमबीबीएस स्टूडेंट्स को 10 लाख रुपये, पीजी डॉक्टरों को 50 लाख रुपये और सुपर-स्पेशलिटी कैंडिडेट्स को 2 करोड़ रुपये भरने पड़ते हैं। हालांकि, आंकड़ों के मुताबिक 10% से भी कम स्टूडेंट बॉन्ड पूरा करते हैं या जुर्माना भरते हैं।

उल्लेखनीय यह हैं कि पहले ही देखा जा चुका है कि जुर्माना लगाना से कुछ नहीं होता। यह कड़ा फैसला है लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी सुधारना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र के इकनॉमिक सर्वे 2018-19 के मुताबिक डॉक्टरों और आबादी का अनुपात 1:1330 है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह 1:1000 होना चाहिए। वहीं, सुदूर इलाकों में यह और भी कम है जहां 5000 लोगों या उससे भी ज्यादा पर एक डॉक्टर है। राज्य में करीब 1.5 लाख अलॉपथी डॉक्टर हैं जिनमें से 66,081 के पास पीजी डिग्री है।

यह भी सत्य हैं कि महाराष्ट्र सरकार ऐसा बिल लेकर आई है जिसके तहत एमबीबीएस और मेडिकल पोस्टग्रैजुएट कोर्स में दाखिल लेने के इच्छुक छात्रों के लिए एक कोटा तैयार किया गया है। ग्रामीण और सुदूर इलाकों में काम करने के इच्छुक छात्र इसके तहत आरक्षण पा सकेंगे। हालांकि, डिग्री पूरी होने के बाद अगर ये छात्र पीछे हटे तो उन्हें जेल हो सकती है और डिग्री भी जा सकती है,इसके तहत एमबीबीएस डॉक्टरों को पांच साल और पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टरों को सात साल काम करना होगा।

Advertisement
Advertisement