Published On : Thu, Aug 2nd, 2018

महाराष्‍ट्र: नवंबर में मराठा आरक्षण विधेयक ला सकती है देवेंद्र फडणवीस सरकार

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Fadnavis

मुंबई :महाराष्‍ट्र में मराठा आरक्षण के समर्थन में उग्र आंदोलन से राज्‍य की बीजेपी सरकार हरकत में आ गई है। राज्‍य की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए एक व्‍यापक कानून लाने का फैसला किया है। इस संबंध में फडणवीस ने गुरुवार को एक बैठक भी बुलाई है। माना जा रहा है कि नवंबर के शुरुआती दिनों में मराठा आरक्षण बिल लाया जा सकता है।

उधर, फडणवीस ने कहा है कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। एक वरिष्‍ठ कैबिनेट मंत्री ने इस बात की पुष्टि की है कि नवंबर के पहले सप्‍ताह के विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण विधेयक लाया जाएगा। उन्‍होंने कहा, ‘हमने बैकवर्ड क्‍लासेज कमिशन को इस मुद्दे का परीक्षण करने के लिए कह दिया है। कमिशन 31 अक्‍टूबर तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। यह रिपोर्ट राज्‍य कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएगी और विशेष सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा।’

मंत्री ने कहा कि विधेयक को इस तरह से तैयार किया जाएगा कि आरक्षण देने में कोई कानूनी बाधा न आए। उन्‍होंने कहा, ‘हमें यह वास्‍तव में साबित करना होगा कि मराठा वास्‍तव में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं। उनकी असाधारण परिस्थितियों और पिछड़ेपन को देखते हुए मराठा लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।’ उधर, एक अधिकारी ने कहा है कि आयोग अपनी रिपोर्ट जल्‍दी सौंप सकता है।

कमजोर पड़ने लगी मराठा आरक्षण आंदोलन की धार
उधर, इस आंदोलन की धार भी अब कमजोर पड़ती दिख रही है। आजाद मैदान मराठा क्रांति मोर्चा की ओर से बुलाए जेल भरो आंदोलन में मात्र 30 लोग हिस्‍सा लेने पहुंचे। इसी मोर्चे ने 25 जुलाई को मुंबई बंद का आह्वान किया था और इसके फलस्‍वरूप नवी मुंबई में जमकर हिंसा हुई थी। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह उनके खिलाफ पुलिस केस का नतीजा है।

उन्‍होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों के अंदर से ही हिंसा के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। इसके अलावा आजाद मैदान के बाहर पुलिस का भारी जमावड़ा था, इस वजह से भी लोग प्रदर्शन के लिए कम पहुंचे। इस बीच मोर्चा ने राज्‍यपाल विद्यासागर राव को पत्र देकर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए कहा है। इन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मराठा समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए। उधर, सरकार का कहना है कि यह मामला अभी हाई कोर्ट के विचाराधीन है और वह बैकवर्ड कमिशन की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

गैर मराठा बोले, हमारा आरक्षण कम न किया जाए
इस बीच गैर मराठा लोगों ने कहा है कि उन्‍हें मराठा लोगों को आरक्षण देने से कोई दिक्‍कत नहीं है लेकिन उनके वर्तमान 52 फीसदी आरक्षण को कम न किया जाए। लिंगायत लीडर मनोहर धूले ने कहा, ‘हालांकि हम मराठा आरक्षण का समर्थन करते हैं लेकिन यह संविधान में बदलाव के बिना देना संभव नहीं है। यदि सरकार गंभीर है तो उसे संविधान संशोधन करना होगा क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी की सीमा निर्धारित की है।’