Published On : Sat, Nov 18th, 2017

पंचतारांकित होटल के लिए वन विभाग को होगी मनपा की जमीन हस्तांतरित

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नागपुर: गोरेवाड़ा जंगल से सटे ‘डैम’ किनारे वन विभाग की दो दर्जन से अधिक हेक्टर जमीन नागपुर महानगरपालिका के अधीन थी. इस जमीन पर एक होटल-रिसोर्ट व्यवसायी की नज़र पड़ी. जिसकी मांग पर शहर के सफेदपोश के साथ कुछ निवेशक मनपा से जमीन वन विभाग को योजनाबद्ध ढंग से लौटाने के लिए पूरी ताक़त से भिड़ गए हैं. नतीजा सोमवार २० नवम्बर को होने वाली आमसभा में बड़ी सफाई से इससे संबंधित विषय को मंजूरी प्रदान कर दी जाएगी.

स्थानीय नागरिकों के अनुसार उक्त सम्पूर्ण जमीन जहां जंगल के साथ मनपा के जलप्रदाय विभाग का पम्पिंग हाउस और जलप्रदाय विभाग के कर्मियों का निवास स्थान है, यह सम्पूर्ण जगह मनपा के पास ६० वर्ष से अधिक समय से है. इस परिसर में ब्रिटिशकालीन गेस्ट हाऊस आदि के अवशेष आज भी जीर्ण अवस्था में देखे जा सकते हैं. इसी परिसर से सटा गोरेवाड़ा डैम है. इस परिसर की शोभा बढ़ा रहे १००-१५० वर्ष पुरानी हज़ारों की संख्या में वृक्ष आज भी परिसर को हरा भरा बनाए हुए हैं. मनपा जलप्रदाय विभाग के करीब ५० क्वार्टर है, जिसमें कई पीढ़ी से कर्मचारी रह रहे हैं. कुल मिलाकर वातावरण निसर्गमय है, जहां रोज सुबह-शाम बड़ी संख्या में नागरिक टहलने और खासकर छुट्टियों में सहल के लिए आते हैं.

जब से गोरेवाड़ा बायोपार्क के निर्माण की घोषणा हुई है, आए दिन इस सैकड़ों एकड़ जगह के इर्द-गिर्द निसर्ग को उजाड़ सीमेंट-कंक्रीट के जंगल बिछाने वाले माफियाओं की हलचलें बढ़ गई हैं. इस क्रम में खाकी और खादी धारी सबसे ज्यादा सक्रीय है. खासकर सत्ताधारी. सत्ताधारी तो स्वार्थपूर्ति हेतु अपने अधिकारी और पहुंच का इस्तेमाल कर योजनाबद्ध तरीके से मिशन में सक्रीय हैं. इसी दरम्यान कई महीने पूर्व सत्ताधारियों के नेतृत्व में एक होटल-रिसोर्ट व्यवसायी को आमंत्रित कर गोरेवाड़ा जंगल परिसर में कई स्थानों का मुआयना कराया गया था, ताकि उन्हें जो जगह पसंद आए, उस जगह पर उनके मनमाफिक जगह आवंटित कर आलिशान होटल-रिसोर्ट का निर्माण हो सके. इस व्यापारी को मनपा के अधीन वन विभाग की जमीन काफी पसंद आई. और उन्होंने संबंधितों से दो टूक कहा कि यह सम्पूर्ण जमीन हमारे प्रकल्प के लिए उत्कृष्ट है.


उक्त उद्योगपति की मांग को सर-आंखों पर लिए सत्ताधारी सफेदपोश सक्रीय हो गए हैं, और प्रशासन के कांधों का इस्तेमाल कर मनपा से जमीन छुड़ाकर वन विभाग को योजनाबद्ध तरीके से लौटाने की तैयारी पूरी कर ली है. उक्त योजना के तहत २ माह पूर्व वन विभाग को गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय प्रकल्प के लिए राज्य वन विकास महामंडल को हस्तांतरित करने संबंधी मनपा आमसभा में प्रस्ताव लाए थे. जिस पर भाजपा के वरिष्ठ नगरसेवक जगदीश ग्वालवंशी और कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक हरीश ग्वालवंशी ने आक्षेप लिया था. उन दोनों की संयुक्त मांग थी कि वन विभाग की उक्त सम्पूर्ण जमीन, जो मनपा के अधीन हैं, उसे कायम रहने दिया जाए. अंग्रेजों के ज़माने की वस्तुओं की मरम्मत कर उसका जतन किया जाए, मनपा एक कदम आगे बढाकर अपने क़ब्ज़े की सम्पूर्ण जमीन का सौन्दर्यीयकरण करें. सम्पूर्ण जंगल निजी हाथों में सौंपने के बजाय वन विभाग के अधीन रहने दिया जाए. इस जंगल और परिसर में सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्षों के साथ कई दुर्लभ फल-फूल के पौधे परिसर की शोभा बढ़ा रहे हैं. इनके विरोध के बावजूद इस विषय को मंजूरी प्रदान कर दी गई है. इसे हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में कुछ तकनिकी खामियों को सुधार कर मंजूरी प्रदान करने का विषय २० नवम्बर की आमसभा में रखा गया जाएगा. जिसे बड़ी बारीकी से बहुमत के आधार पर आनन-फानन में मंजूरी प्रदान करने की रणनीति बनाई गई है.


इसके बाद इस जमीन मांगनेवाले के लिए महामंडल बीओटी पर कुछ हिस्सा कागजों पर दे देगी, शेष हिस्सा मांगकर्ता इसे अपने आप उपयोग में लाता रहेगा. इसलिए भी संभव है क्योंकि विपक्ष निष्क्रिय है और विपक्ष में जो भी तेजतर्रार हैं वह अपने स्वार्थपूर्ति में लीन हैं. इनके चक्कर में मनपा जलप्रदाय विभाग के नाम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी से रह रहे ४ दर्जन से अधिक लोगों को जगह छोड़ना पड़ेगा. विशालकाय वृक्षों का क़त्ल होना तय है, पर्यावरण का तहस-नहस तय है. आम नागरिकों के निसर्गमय वातावरण में टहलने और सहल पर पाबन्दी लगा दी जाएगी.

उल्लेखनीय यह है कि उक्त पंचतारांकित होटल के निर्माण में सक्रिय शहर के कुछ चुनिंदे सबल सफेदपोश निवेशक के रूप में नज़र आएंगे. क्या यही स्मार्ट सिटी की परिभाषा है, इसे ही वर्तमान सरकार ने ‘अच्छे दिन’ निरूपित किया था.