Published On : Wed, Dec 27th, 2017

लोकसभा उपचुनाव की तैयारी में जुटे नाना पटोले

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Nana Patole

गोंदिया/नागपुर: नाना पटोले द्वारा लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने के बाद रिक्त हुई भंडारा-गोंदिया सीट पर राजनीतिक गहमागहमी तेज़ हो चली है। बीजेपी की टिकिट पर चुनाव जीतने वाले नाना पटोले लगातार संसदीय क्षेत्र का दौरा कर सभा कर रहे है। ख़ास है की उनकी सभा में कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्त्ता अपना पूरा सहयोग भी दे रहे है। नाना जहाँ सभा कर रहे है वहाँ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी इस ओर संकेत देती है की नाना पटोले लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते है। हालाँकि इन तर्कों को दरकिनार कर नाना ने अब तक किसी भी तरह का फैसला नहीं लेने की बात कही है। बावजूद इसके नाना पुराने कांग्रेसी है यह बात किसी से छुपी नहीं है और बीजेपी से टकराव के बीच कांग्रेस ने जिस तरह से उनका साथ दिया यह भी जगजाहिर है।
बतौर लोकसभा सदस्य इस्तीफा देने के बाद नाना ने पश्चाताप यात्रा भी निकाली जिसके बाद वह लगातार अपने संसदीय क्षेत्र में दौरे पर है। तहसील स्तर पर उनकी सभाओं को सफल बनाने में कांग्रेसी कार्यकर्त्ता मदत कर रहे है। भंडारा,गोंदिया,साकोली,लाखांदुर,अर्जुनी मोरगांव में तहसील स्तर की हुई सभा में हजारों की संख्या में लोग नाना को सुनने उपस्थित रहे। अपनी हर सभा में वो बीजेपी सरकार और उसकी नीतियों को कोस रहे है।

नए वर्ष में जनवरी के अंत में या फ़रवरी महीने के शुरुवात में देश की कई सीटों पर लोकसभा का उपचुनाव हो सकता है। चुनाव को कम ही समय बचा है नाना पटोले की जनता के बीच लोकप्रियता भी है 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर वो दूसरे स्थान पर रहे थे। 2014 में बीजेपी की टिकिट से राष्ट्रवादी के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल को हराकर सांसद बने। पटेल फ़िलहाल महाराष्ट्र से राज्यसभा के सदस्य भी है।

राज्य में विधानसभा चुनाव अपने बलबूते पर लड़ने वाली कांग्रेस और राष्ट्रवादी पार्टी के बीच इन दिनों दोस्ती फिर गहरा गई है। ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता की उपचुनाव में दोनों के बीच गठबंधन हो जाए। ऐसे में अगर नाना कांग्रेस के उम्मीदवार बनते है तो उनकी जीत का दावा और मजबूत ही हो जाएगा। दूसरी तरफ़ बीजेपी के पास फ़िलहाल की स्थिति में इस सीट पर नाना की टक्कर का प्रत्याशी नहीं है। यानि स्थितियाँ उनके पक्ष में है,सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी से टकरा रही शिवसेना पटोले को समर्थन दे सकती है। इन दिनों अपनी सभाओ में भले ही नाना पटोले अपने टक्कर का उम्मीदवार होने की स्थिति में चुनाव लड़ने की बात कह रहे हो लेकिन उन्होंने अपने भविष्य को सुरक्षित रखते हुए ही न केवल इस्तीफ़ा दिया बल्कि अभी से ही चुनाव की तैयारियों में जुट चुके है।