Published On : Wed, Oct 11th, 2017

पर्यावरण शुल्क के फेर में फंसा पटाखा दुकानों का लाइसेंस

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नागपुर: दीपावली के लिए अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है। लेकिन इस साल पटाखा दुकानदारों के सामने पर्यावरण शुल्क की नई पेंच उलझते दिखाई दे रही है। दरअसल एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने सभी पटाखा दुकानदारों से पर्यावरण शुल्क वसूलने के निर्देश दिए हैं। इसलिए अब पर्यावरण शुल्क के रूप में पटाखा दुकानदारों को तीन हजार रुपए अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा।

लेकिन इस पर्यावरण शुल्क के पीछे भी नई पेंच उलझती नजर आ रही है। एनजीटी से यह आदेश देर से मिलने के कारण मनपा के फायर डिपार्टमेंट ने करीब करीब सभी पटाखा दुकानदारों को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफ़िकेट) वितरित कर दिया है। इस फ़ायर एनओसी के लिए पटाखा दुकानदारों से विभाग एक हजार रुपए की फीस वसूली गई है। अब एनजीटी के आदेश के बाद पर्यावरण शुल्क वसूली के चलते पटाखा दुकानदारों को मनपा में ही चार हजार रुपए शुल्क के रूप में जमा कराने होंगे। लेकिन अधिकतर एनओसी वितरित कर पुलिस विभाग के पास अंतिम मुहर के लिए पटाखा दुकानदारों को भेजे जाने से मनपा के स्वास्थ्य विभाग को पुलिस विभाग को पत्र लिखकर पर्यावरण शुल्क भरने के लिए दुकानदारों को वापस भेजने की अपील की गई है। हालांकि जिन पटाखा दुकानदारों को लाइसेंस वितरित हो चुके हैं ऐसे दुकानदारों से विशेष मुहिम छेड़ कर इस शुल्क को वसूलने की तैयारी मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने शुरू कर दी है।

बता दें यह पर्यावरण शुल्क की भरपायी एनजीटी ने एक याचिका की सुनाई के बाद आदेश के रूप में दिए। इसमें पटाखों से होनेवाले कचरे को साफ करने के लिए मनपा के स्वास्थ्य विभाग को अतिरिक्त काम कर स्वच्छता बनाए रखना पड़ता है। इसके लिए मनपा को अतिरिक्त ख़र्च का वहन करना पड़ता है। इस अतिरिक्त ख़र्च के बोझ से मनपा को बचाने व स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह पर्यावरण शुल्क वसूल किया जा रहा है। बीते वर्ष करीब 940 पटाखा दुकानों को मनपा ने एनओसी वितरित किए थे। इस वर्ष के आँकड़े भी जल्द ही साफ हो जाएंगे।

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