Published On : Mon, May 27th, 2019

लाल सलाम को आखिरी सलाम..

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गोंदिया – जंगल छोड़ा, बंदूक फेंकी- नक्सली जगदीश ने किया आत्मसमर्पण

गोंदिया: भारत के लोकतंत्र में विश्‍वास व्यक्त कर, समाज की मुख्यधारा से खुद को जोड़ने का निश्‍चय करते हुए आगे का सामाजिक जीवन शांतिपूर्वक व सुखमय बीते, इसी मकसद के साथ गड़चिरोली जिले के कोरची (के.के.डी.) दलम में गत 7 वर्षों से सक्रिय नक्सली जगदीश उर्फ महेश उर्फ विजय अगनू गावड़े (27 रा. कोरची) ने आज सोमवार 27 मई को गोंदिया पुलिस अधीक्षक तथा जिलाधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

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इस अवसर पर निवासी जिलाधिकारी अशोक लटारे, उपविभागीय पुलिस अधिकारी चांदा साहब, एलसीबी निरीक्षक दिनकर ठोसरे आदि उपस्थित थे।
6 बड़ी घटनाओं में रहा है शामिल
आत्मसमर्पित नक्सली जगदीश गावड़े यह 6 बड़ी घटनाओं में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से शामिल रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के भावे जंगल में पुलिस व नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ जिसमें 3 पुलिस शहीद हो गए थे।
जून 2012 में गड़चिरोली जिले के ग्राम फुलगोंदी की फायरिंग में भी वह शामिल था। अक्टू 2012 के लेकूरबोड़ी इलाके में पुलिस-नक्सल के बीच हुई चकमक में भी वह शामिल रहा, नवेझरी तथा मुरूकुटी में पुलिस पार्टी पर किए गए हमले में भी उसकी खास भूमिका थी।
वर्ष 2013 में गड़चिरोली के टिपागढ़ के जंगल में हुई फायरिंग में भी वह शामिल था तथा नवंबर 2016 में छत्तीसगढ़ बार्डर के बगरझोला जंगल में हुई फायरिंग के दौरान भी वह शामिल रहा है, इस मुठभेड़ में एक नक्सली की मौत हो गई थी तथा 2 जख्मी हुए थे। अब जगदीश गावड़े के आत्मसमर्पण कर दिए जाने के बाद विभिन्न थानों में जो उसपर जुर्म दर्ज है, उसकी सूची बनाकर राज्य कमेटी को भेजी जायेगी और वहीं केस को समाप्त करने के संदर्भ में अंतिम निर्णय लेगी।

अब तक 19 नक्सली कर चुके है आत्मसमर्पण- पुलिस अधीक्षक साहू
गोंदिया जिले में नक्सल गतिविधियां शुरू है, एैसे में किसी नक्सली को लगता है कि, मैं जिस मूमेंट से जुड़ा हुआ हूं उसकी विचारधारा महज दिखावा है तथा इस मूमेंट से आदिवासी, घोर गरीबों का कोई उत्थान नहीं हो रहा है, ना ही उन्हें न्याय मिल रहा है, लिहाजा मुझे बूलेट (बंदूक) छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाना चाहिए, जिससे खुद का कल्याण और समाज का कल्याण हो सके, एैसे विचार मन में लाकर नक्सली मूमेंट में सक्र्रिय जगदीश गावड़े ने आज जिला पुलिस प्रशासन व जिलाधिकारी डॉ. कांदबरी बलकवड़े के समक्ष आत्मसमर्पण किया है , जिसका मैं स्वागत करती हूं।

आत्मसमर्पित नक्सली जगदीश प्लाटून कमेटी मेम्बर रहा है तथा मुख्यतः उसने 3 दलम में काम किया है। देवरी दलम से उसने शुरूवात की। फिर माओवादी केंद्रीय कमेटी के सदस्य व खूंखार नक्सली मिलिंद तेलतुमड़े का वह निजी बॉडीगार्ड (अंगरक्षक) भी रहा। तत्पश्‍चात उसने विस्तार (प्लाटून) दलम में भी काम किया। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ इन 3 राज्यों में एक्टिव के.के.डी दलम में भी वह कार्यरित रहा। यह दलम गोंदिया जिले के मुरूकटडोह नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बेहद सक्रिय है।

शासन के आत्मसमर्पण योजना के तहत सामाजिक, आर्थिक, दृष्टिकोण से जगदीश गावड़े का पुनःवर्सन हो और जीवन शैली में सुधार आए तद्हेतु महाराष्ट्र शासन के गृहउपविभाग की ओर से ढ़ाई लाख रूपये की पुरस्कार राशि, केंद्र सरकार की ओर से ढ़ाई लाख इस तरह कुल 5 लाख रूपये आर्थिक बक्षीस मदद देने की घोषणा की गई है। इसके अतिरिक्त शिक्षण, भूखंड (घर), स्वंय रोजगार के लिए कर्ज, इस तरह की सारी आर्थिक मदद उसे दी जाएगी।

अब तक गोंदिया जिले में 19 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके है तथा जगदीश गावड़े के लिए जब तक घर व अन्य व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक वह हमारे संरक्षण में ही रहेगा, एैसी जानकारी जिला पुलिस अधीक्षक विनीता साहू ने दी।

उगाही के पैसे से खरीदे जाते है हथियार- नक्सली जगदीश
मैं 8 वीं तक पढ़ा हूं, हम 4 भाई है, पिता की मृत्यु हो चुकी है, मां गांव में खेती करती है , मैं दोस्तों के साथ जंगल घुमने जाता था इसी दौरान वर्ष 2012 में कोरची नक्सली दलम के सदस्यों ने मुझे जंगल में घेरा और 10-15 दिन मैेंं उन्हीं के साथ रहा, जब मैंने घर और गांव जाने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने कहा- तुम्हारा अब यहीं आखरी पत्ता और ठिकाना है? मुझे हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई, एसएलआर, इंसास, कार्रबाइन, ए.के.-47 गन मुझे चलाते आती है।

मौजुदा वक्त में मेरा काम प्लाटून विस्तार का था। नक्सली मूमेंट को जिंदा रखते हुए मैंने गड़चिरोली और छत्तीसगढ़ के बस्तर से 22 युवकों का ब्रेन वाश कर उन्हें नक्सली मूमेंट से जोड़ा है, जो छत्तीसगढ़ के बार्डर राजनंदगांव के कवर्धा जिले के बोडला दलम में सक्रिय है।

हाल ही में गड़चिरोली जिले में हुए नक्सली हमले में 16 जवान वीरगति को प्राप्त हुए उस वारदात में मैं शामिल नहीं था लेकिन हमारा संगठन कोरची दलम शामिल था। मौजुदा वक्त में कोरची दलम में 10-12 लोग है जिसमें 3 महिला नक्सली है।

ये संगठन चलता कैसे है?,शामिल सदस्यों को वेतन और असला-बारूद खरीदने के लिए पैसे कहां से आते है? का जवाब देते जगदीश गावड़े ने बताया, बड़े तेंदूपत्ता कारोबारी, लकड़ा-बांबू ठेकेदार, लाख-गोंद और महुआ के व्यापारी जो जंगल से कटाई और तुड़ाई का सरकारी ठेका लेते है, उनके मालक और मैनेजर से नक्सल डिवीजन कमेटी द्वारा बात की जाती है तथा उस क्षेत्र से निकलने वाली वनसंपदा के हिसाब से उगाही (रंगदारी टैक्स) तय किया जाता है तथा इसका एक हिस्सा राज्य और सेंट्रल कमेटी को जाता है और बाकि पैसे से हथियार और बारूद खरीदा जाता है और संगठन को विस्तारित किया जाता है। मेरा नक्सली संगठन छोड़ने का कारण था, दिन प्रतिदिन सरकार का बढ़ता शिंकजा और जंगल के भीतर बढ़ता खतरा। साथ ही नक्सली दलम का जो लक्ष्य है कि, हमें क्रांति करना है? सरकार के खिलाफ संघर्ष करना है? देश में बदलाव लाना है? ये जो गरीब जनता के लिए लड़ रहे है, दरअसल इस दौरान मुझे एैसा प्रतित हुआ कि, यह सब दिखावा है।

ये कहते है आदिवासी और गैरआदिवासियों के लिए हमारी लड़ाई है , दरअसल उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आ रहा है, हथियार उठाने से किसी का कोेई फायदा नहीं है और जो भी उगाही का पैसा आता है, उसमें से अधिकांश पैसा कमेटी को चला जाता है और जंगल की जिंदगी अभाव व दुर्गती भरी है तथा उसके ऊपर भी हमेशा पुलिस के साथ मुठभेड़ का खतरा बना रहता है, यह सोचकर मैंने खुद को इस मूमेंट से अलग करने की ठानी। एक बार जंगल में गए तो आप बाहर नहीं आ सकते , आपकी केवल लाश ही बाहर आती है, लेकिन मैंंने अपने बुलंद हौसलों की बदौलत जंगल का जीवन छोड़ दिया। अब मैं भविष्य में देवरी में रहना चाहता हूं तथा शादी कर खेती-किसानी द्वारा अपनी जिंदगी खुशहाल बनाना चाहता हूं।

क्या जिन 22 लोगों का आपने ब्रेन वाश कर उन्हें नक्सली मूमेंट से जोड़ा, अब खुद समाज की मुख्य धारा से जुड़ने के बाद उन्हें वापस देश का एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए कार्य करेंगे? के प्रश्‍न का जवाब देते जगदीश गावड़े ने कहा- मैं हरसंभव प्रयास करूंगा कि, वे बंदूक का रास्ता छोड़कर, समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाए और पुलिस प्रशासन का भी कर्तव्य है कि, वे इस आत्मसमर्पण योजना की दिशा में अपनी सक्रिय भूमिका अदा करें।

– रवि आर्य

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