Published On : Tue, Aug 2nd, 2016

खापरखेड़ा-कोराडी के विद्युत निर्माण की ८ इकाइयां बंद

राज्य की १६ इकाइयां बंद
अदानी आदि निजी बिजली निर्माता कंपनी से खरीदी जा रही बिजली

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नागपुर:
खापरखेड़ा सह राज्य की विद्युत निर्माण करने वाली महानिर्मिति की १६ इकाइयां को ऊर्जा मंत्रालय बंद कर दिया। वजह यह दर्शाई गई कि महानिर्मिति को विद्युत निर्माण का खर्च अधिक पड़ रहा है। इस वजह से सिर्फ खापरखेड़ा इकाई के लगभग १०००० अस्थाई और स्थाई कर्मी क्रमश बेरोजगार व बेकाम हो गए है। दर्शाई गई वजह यह है कि विद्युत उत्पादन ख़र्च काफी बढ़ गया। इसके बनस्पत निजी बिजली उत्पादक से बिजली खरीदना सस्ता पड़ रहा है। एनसीपी सावनेर विधानसभा अध्यक्ष किशोर चौधरी ने आरोप लगाया की निजी बिजली उत्पादकों को मदद करने हेतु सरकारी ऊर्जा निर्मिति केंद्रों की लगभग डेढ़ दर्जन बंद किया गया है। और यह भी मांग की है कि बेरोजगार व बेकाम हुए कर्मियों को खापरखेड़ा महानिर्मिति केंद्र के बंद संच को शुरू कर रोजगार दिए जाये।

चौधरी के अनुसार खापरखेड़ा के ५ संच और कोराडी का पुराना संच डेढ़ माह पूर्व बंद कर दिया गया। इस वजह से लगभग १० हज़ार अस्थाई व स्थाई कर्मी के हाथों से रोजगार छिन गया। इस प्रकार के रवैय्ये से सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है, यह समझ से परे है। नागपुर जिले की जनता रूपी मतदाता ने कोराडी-कामठी-मौदा के विधायक को सर्वाधिक मतों से चुनकर एक बार पुनः विधायक ही नहीं मंत्री बनवाये। वह भी ऊर्जा मंत्री। अबतक ऊर्जा मंत्री ऊर्जा नगरी के बाहर का हुआ करते थे। पर उन्होंने कभी अस्थाई-स्थाई मजदूरों को बेरोजगार नहीं किया लेकिन स्थानीय ऊर्जा मंत्री ने अमरावती और गोंदिया में स्थापित निजी बिजली निर्माता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी १६ संच को बंद कर खुद पीठ थपथपा रही है।

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चौधरी के अनुसार सरकारी ऊर्जा निर्मिति केंद्र में तीन रूपए प्रति यूनिट पर बिजली तैयार होता है, और बिक्री ६ से १२ रूपए में किया जाता है। फिर किस बिना पर सरकारी संच बंद करने का निर्णय लिया गया। यह समझ से परे है। निजी बिजली कंपनी से बिजली खरीदने के साथ सभी संबंधितो को ऊपरी कमाई किसी से छिपी नहीं है।

खापरखेड़ा-कोराडी में कुल ८ संच बंद किये जाने पर आंदोलन किया गया। उन्हें ऊर्जा मंत्री ने आश्वासन दिया कि बकाया भुगतान शीघ्र किया जायेगा। वही दूसरी ओर लेबर कॉन्ट्रैक्टर्स को आश्वासन दिया गया कि उन्हें भी बकाया भुगतान किया जायेगा। इन आश्वासन के बाद यह सवाल सभी के समक्ष खड़ा हो गया कि १६ महत्वपूर्ण संच बंद के बाद बकाया भुगतान के लिए कहाँ से निधि की उपलब्धता की जाएगी।

उल्लेखनीय यह है कि महानिर्मिति ताप बिजलीकेंद्रों को एस.एल.डी.सी. के एम.ओ.डी. का झटका लगने से 16 इकाइयों को बंद करना पड़ा है। 8220 मेगावॉट क्षमता के महानिर्मिति के केंद्रों में केवल 2849 मेगावॉट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। केवल चंद्रपुर बिजली केंद्र ने महानिर्मिति के कुल बिजली उत्पादन का 50 फीसदी से अधिक 1628 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर यह सिद्ध कर दिया है कि वह महाराष्ट्र का ऊर्जानिर्मिति का एक महत्वपूर्ण घटक है।

कोयला गीला होने अथवा मांग कम होने से बिजली उत्पादन कम नहीं हो रहा। महाराष्ट्र राज्य भार प्रेषण केंद्र ने (एस.एल.डी.सी.) मेरिट ऑर्डर डिस्पैच के अनुसार जो प्रति यूनिट की दर सूची तैयार की है। उसके अनुसार जिस इकाई की प्रति यूनिट की दर सस्ती है, उसकी बिजली प्राथमिकता से वितरण कंपनी ले रही है। उससे मंहगी बिजली लेना बिजली वितरण कंपनी ने बंद कर दिया है। इसकी वजह से नासिक, कोराडी, खापरखेडा , पारस, परली, भुसावल बिजलीकेंद्र की कुल 16 इकाइयां बंद रखने की नौबत आ गई है। यह स्थिति इतिहास में पहली बार आई है।

बिजलीघर दर (रुपए में)
तीन रुपए के ऊपर
नासिक इकाई क्र. 3,4,5 – 3.2298

दो से तीन रुपए के भीतर
भुसावल 2,3 – 2.8829
भुसावल 4,5 – 2.8252
कोराडी 5,6,7 – 2.6321
खापरखेडा 1 से 4 – 2.6004
पारस 3,4 – 2.3634
चंद्रपुर 3 से 7 – 2.3243
खापरखेडा 5 – 2.3243
कोराडी 8 – 2.2590
चंद्रपुर 8 – 2.0514

– राजीव रंजन कुशवाहा ( rajeev.nagpurtoday@gmail.com )

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