Published On : Tue, Oct 3rd, 2017

केरल ‘लव जिहाद’ केस: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या हाई कोर्ट एक व्यस्क की शादी रद्द कर सकता है?

Advertisement

Kerala-love-jihad

File Photo


नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह अगले सोमवार को इस सवाल पर विचार करेगा कि क्या उच्च न्यायालय रिट अधिकार के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके एक मुस्लिम युवक की उस हिन्दू महिला से शादी को अमान्य घोषित कर सकता है, जिसने निकाह करने से पहले इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि केरल के मुस्लिम युवक शफीन जहां की नई अर्जी पर नौ अक्तूबर को विचार किया जायेगा। इस अर्जी में शफीन ने न्यायालय से अपना पहले का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया है जिसमे राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को यह पता लगाने के लिये कहा गया था कि क्या इस मामले में कथित ‘लव जिहाद’ का व्यापक पैमाना है।

शफीन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने दलील दी कि बहुधर्मी समाज में शीर्ष अदालत को इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को जांच का आदेश नहीं देना चाहिए था। उन्होंने इस आदेश को वापस लेने के लिये दायर अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया। इस पर पीठ ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके शादी अमान्य घोषित कर सकता है।’

केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस प्रकरण में पेश हो रहे अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिंदर सिंह व्यक्तिगत काम की वजह से बाहर गये हुये हैं। शफीन जहां ने 20 सितंबर को यह आवेदन दायर करके न्यायालय से अपना 16 अगस्त का वह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था जिसमे राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को हिन्दू महिला के धर्म परिवर्तन के बाद इस व्यक्ति से विवाह के विवादास्पद मामले की जांच का निर्देश दिया गया था।

Gold Rate
13 May 2025
Gold 24 KT 94,300/-
Gold 22 KT 87,700/-
Silver/Kg 97,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

केरल उच्च न्यायालय ने इस विवाह को ‘लव जिहाद’ का नमूना बताते हुये इसे अमान्य घोषित कर दिया था। इसके बाद ही यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा था। इस व्यक्ति का दावा है कि महिला ने स्पष्ट किया है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया है लेकिन उच्च न्यायालय के 24 मई के आदेश के बाद से उसे उसकी मर्जी के खिलाफ पिता के घर में नजरबंद करके रखा गया है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट मिशन ने इस महिला को भर्ती किया है और शफीन जहां तो सिर्फ एक मोहरा है। इस महिला के पिता अशोकन के एम का आरोप है कि धर्म परिवर्तन कराने के लिये बहुत ही सुनियोजित व्यवस्था काम कर रही है।

Advertisement
Advertisement