Published On : Tue, Jul 5th, 2016

किसको नहीं केदार की ‘दरकार’

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राजेंद्र मुलक के पदग्रहण समारोह में नहीं थे सुनील केदार
चर्चाओं का बाजार गर्म ‘किसको नहीं है केदार की ‘दरकार’ : कांग्रेस को या मुलक को’
सुनील केदार जिले से कांग्रेस के एकमात्र विधायक

Rajendra Mulak, Wasnik and Vilas Muttemwar
नागपुर:
राज्य के पूर्व वित्त राज्यमंत्री राजेंद्र मुलक ने रविवार को नागपुर जिला ( रामटेक लोकसभा क्षेत्र ) ग्रामीण कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल ली। आयोजित पदग्रहण समारोह में दिल्ली से लेकर नागपुर शहर और नागपुर ग्रामीण कांग्रेस से जुड़े सभी बड़े नेता और कार्यकर्ता पहुंचे, मगर जिले से कांग्रेस के एकमात्र विधायक सुनील केदार अवसर से नदारद रहे। केदार की अनुपस्थिति से तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

एक चर्चा यह हो रही है कि सुनील केदार ने नागपुर ग्रामीण कांग्रेस यानी रामटेक लोकसभा क्षेत्र के नेतृत्व की इच्छा वरिष्ठों से प्रगट की थी, लेकिन पार्टी ने उनकी बजाय राजेंद्र मुलक पर भरोसा जताया और उन्हें ग्रामीण कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया, जिसके चलते सुनील केदार नाराज़ हो गए और अपनी नाराजगी जताने ही वह श्री मुलक के पदग्रहण समारोह से कन्नी काट गए।

यह भी एक चर्चा है कि जिले की राजनीति में केदार वर्षो से सक्रिय हैं, वहीँ मुलक को जिले की राजनीति की बारीकियां समझने में वक़्त लगेगा। केदार वर्ष में ३०० दिन ग्रामीण इलाके में दिखते हैं, तो मुलक इसके विपरीत हैं।

कहा जा रहा है कि मुलक की ताजपोशी और केदार की नाराजगी का खामियाजा ग्रामीण कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है, हालाँकि मुलक के पास अपने कट्टर समर्थकों की शक्ति है, लेकिन केदार समर्थकों की फेरहिस्त ग्रामीण कांग्रेस में ज़रा ज्यादा ही बड़ी है और उनके समर्थक अपने नेता को जिम्मेदारी नहीं दिए जाने से नाराज़ हैं।

सुनील केदार को जज्बाती नेताओं में गिना जाता है,वह इतनी जल्दी मुलक का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे। निसंदेह इसका असर दिख चुका, वह मुलक के पदग्रहण समारोह में अनुपस्थित रहे, पर किसी ने सार्वजनिक तौर पर यह नहीं स्वीकारा और न ही श्री केदार को बुलाने, मनाने की पहल की गई।

यह भी साफ है कि मुलक को गावंडे दम्पत्ति की तरह केदार प्रभावित इलाके में चहलकदमी करने की सख्त मनाही रहेगी। सावनेर, कलमेश्वर, पारशिवनी आदि में केदार का खासा प्रभाव है और अन्य क्षेत्र में उनके कट्टर समर्थक हैं, जिनके लिए केदार हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

राजेंद्र मुलक भी सुलझे हुए कांग्रेसी हैं, उन्हें इस बार कांग्रेस के अंदरूनी कलहों और बाहर विपक्षी दल से निपटते हुए जिला परिषद, नगर परिषद में पंजा लहराने के लिए कमर कसनी है।

उल्लेखनीय यह है कि रामटेक लोकसभा में कांग्रेस को एकसूत्र में पिरोने के लिए मुकुल वासनिक सार्वजनिक रूप से कोई पहल नहीं करेंगे, ऐसी सूरत में, समय- समय पर मुलक और केदार को व्यक्तिगत खटास से उबरकर पार्टी को मजबूत करने की इस समय की मांग के अनुरूप नरम होना पड़ सकता है।

– राजीव रंजन कुशवाहा