नई दिल्ली: जेट एयरवेज बड़े संकट में फंस गई है। जेट ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि उसके पास एयरलाइंस को 60 दिन से ज्यादा चलाने का पैसा नहीं है। एयरलाइंस बड़े पैमाने पर कॉस्ट कटिंग की तैयारी में है। ईटी के मुताबिक नरेश गोयल और मैनेजमेंट की टीम ने कर्मचारियों से फेस टू फेस बैठक की है। इन्होंने मुंबई और दिल्ली में बैठक कर कर्मचारियों को बताया कि जेट एयरवेज की हालत बहुत खराब है और लागत घटाने के कदम उठाने पड़ेंगे। हाल ही में जेट एयरवेज ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि उनको 25 फीसदी का सैलरी कट लेना पड़ेगा।
इसके चलते जेट के कर्मचारियों ने विरोध भी किया था। जेट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘हमको जानकारी दी गई है कि एयरलाइंस को 2 महीने से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता है। इसलिए मैनेजमेंट को कॉस्ट कटिंग करना होगी। एयरलाइंस ने ये सब हमें पहले नहीं बताया इस कारण कर्मचारियों का मैनेजमेंट पर से विश्वास उठ गया है।’
जेट के कुछ कर्मचारियों के मुताबिक लागत घटाने के लिए स्थिति को बढ़ाचढ़ा कर बताया जा रहा है। जेट ने कई कर्मचारियों को निकाला भी है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया है। कर्मचारियों को 2 साल तक 25 फीसदी कम सैलरी लेने के लिए कहा गया है। जेट एयरवेज के कर्मचारियों के लिए 60 दिन का नोटिस पीरियड भी खत्म कर दिया गया है।
एयरलाइंस ने अपने फर्स्ट ऑफिसर्स के लिए 7 साल के बॉन्ड या 1 करोड़ की रकम की शर्त भी खत्म कर दी है। जेट एयरवेज ने कहा है कि वो खर्चे घटाने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है।
एयरलाइंस ने 60 दिन की डेडलाइन पर कोई जवाब नहीं दिया है।जेट एयरवेज की तेल के बढ़ते दाम और इंडिगो के मार्केट शेयर पर कब्जे से हालत खराब हुई है। जेट को वित्तवर्ष 2018 में 767 करोड़ का घाटा हुआ था।
जानकारों के मुताबिक जेट एयरवेज को मौजूदा वित्तवर्ष की पहली तिमाही में 1 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है। जेट एयरवेज से टिकट बुक करने वालों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। कंपनी बैंकों से लोन लेकर अपना ऑपरेशन जारी रख सकती है। जानकारों के मुताबिक इतनी बड़ी एयरलाइंस अचानक बंद नहीं होगी।









