नागपुर: नियमित वेतन भुगतान में अनियमितता के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अध्यापकों को एक और राहत मिली है। नागपुर स्थित विक्रमशीला पॉलिटेक्निक कॉलेज को हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि वह आगामी शैक्षणिक वर्ष के लिए 7 दिनों के भीतर शुल्क जमा करे और AICTE से मान्यता विस्तार की प्रक्रिया पूरी करे।
यह आदेश कॉलेज प्रबंधन और ट्रस्ट द्वारा संस्थान को बंद करने की मंशा के चलते शुल्क जमा न करने और अध्यापकों द्वारा पुनः दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि समयसीमा के भीतर शुल्क जमा किया जाता है, तो AICTE को इसे स्वीकार कर शेष औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। साथ ही, यदि दस्तावेजों में कोई कमी है, तो प्रबंधन को उसे तुरंत ठीक करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश ट्रस्ट को कॉलेज बंद करने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से नहीं रोकता है
पृष्ठभूमि: पिछले आदेशों का हवाला
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने न्यायालय का ध्यान 22 जुलाई 2024 को पारित उस आदेश की ओर आकृष्ट किया, जिसमें कोर्ट ने ट्रस्ट और प्रबंधन को AICTE में प्रस्ताव जारी रखने का निर्देश दिया था। इसके अनुपालन में 25 जुलाई 2024 को AICTE ने संस्थान के विस्तार की अनुमति भी दी थी।
हालांकि, अब ट्रस्ट की ओर से तर्क दिया गया कि उन्होंने कॉलेज बंद करने के लिए प्रस्ताव पहले ही भेज दिया है। इसलिए पिछला आदेश अब प्रासंगिक नहीं रहा। वकील ने यह भी कहा कि उस समय तक ऐसा कोई प्रस्ताव दाखिल नहीं किया गया था, इसीलिए पिछला आदेश दिया गया था।
AICTE और MSTEB की भूमिका
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि महाराष्ट्र राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड (MSTEB) ने संस्थान बंद करने के लिए आवश्यक ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (NOC) देने से इनकार कर दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष AICTE की आधिकारिक वेबसाइट से एक दस्तावेज़ प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्पष्ट था कि ट्रस्ट ने ‘AICTE अनुमोदन प्रक्रिया 2025–26’ के अंतर्गत कॉलेज बंद करने का प्रस्ताव डाला था, लेकिन AICTE ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया और स्थिति को “मामला बंद” के रूप में दर्ज किया गया।
संस्थान के वकील ने बताया कि इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए एक नई समिति का गठन किया गया है।