Published On : Thu, Jul 26th, 2018

11वीं प्रवेश : हाईकोर्ट का एतिहासिक फैसला

Nagpur Bench of Bombay High Court

नागपुर: अल्पसंख्यक स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आरक्षित सीटों को समर्पित कर उनके स्थानों पर सामान्य प्रवर्ग से प्रवेश दिए जाने को चुनौती देते हुए स्त्री शिक्षण प्रसारक मंडल की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई.

याचिका पर बुधवार को लंबी बहस के बाद न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश झका हक ने पूरे राज्य में 11वीं प्रवेश के लिए सुनिश्चित सेंट्रल एमिशन प्रोसेस (सीएपी) के माध्यम से ही अल्पसंख्यक जूनियर कालेजों में इनहाउस कोटे की सभी 20 प्रतिशत सीटें भरने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता के अनुसार शहर में कुल 58 अल्पसंख्यक की शालाएं हैं, जहां 50 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्र, 25 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 20 प्रतिशत इनहाउस प्रवर्ग और 5 प्रतिशत व्यवस्थापन कोटे से प्रवेश दिए जाते हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. भानुदास कुलकर्णी ने पैरवी की.

Gold Rate
24 Oct 2025
Gold 24 KT ₹ 1,23,400 /-
Gold 22 KT ₹ 1,14,800 /-
Silver/Kg ₹ 1,51,600/-
Platinum ₹ 60,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

जनहित के रूप में किया स्वीकार
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि शहर में 11वीं के प्रवेश केंद्रीय प्रवेश प्रक्रिया द्वारा किए जाते हैं, जिनमें अल्पसंख्यक दर्जे की शालाओं की ओर से अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आरक्षित 50 प्रतिशत सीटें प्रवेश समिति को समर्पित करते हैं, लेकिन उन स्थानों पर सामान्य वर्ग से प्रवेश लिया जाता है.

एक ओर अल्पसंख्यक वर्ग में रहकर अन्य लाभ लिए जाते हैं, वहीं दूसरी ओर 11वीं प्रवेश के लिए आरक्षित सीटों का समर्पण कर सामान्य वर्ग से छात्रों
को प्रवेश दिया जाता है, जबकि यह परंपरा गलत है. इस तरह से सामान्य दर्जे की शालाओं का नुकसान होता है जिससे समर्पित की गई सीटों पर सामान्य वर्ग से प्रवेश नहीं देने का अनुरोध अदालत से किया गया. गत सुनवाई के बाद अदालत ने इसे जनहित के रूप में स्वीकृत कर शिक्षण संचालक, उपसंचालक और प्रवेश समिति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. साथ ही अन्य शालाओं में की सामान्य प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद छात्रों की संख्या बची होने पर अल्पसंख्यक शालाओं द्वारा समर्पित सीटों पर प्रवेश देने के आदेश दिए थे.

राज्य भर में लागू होगा आदेश
विशेषत: संस्था द्वारा केवल महानगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली अल्पसंख्यक शालाओं को लेकर ही याचिका दायर की गई थी. लेकिन अदालत ने इसे जनहित के रूप में स्वीकार कर आदेश जारी किया, जिससे केंद्रीय प्रवेश समिति को राज्य भर में इसका पालन करना होगा.

अब तक की प्रवेश पद्धति के अनुसार अल्पसंख्यक कालेजों में कोटा सिस्टम के कारण कम अंक पानेवाले अल्पसंख्यक छात्रों को भी 11वीं में प्रवेश सुनिश्चित होता था, जबकि उच्च अंक पाने वाले प्रतिभाशाली छात्र ऐसे कालेजों में प्रवेश से वंचित रह जाते थे. अत: याचिका में मुंबई के छात्र एवं पालकों की ओर से मध्यस्थता अर्जी दायर की गई. इंटरविनर की ओर से अधि. अक्षय नाईक ने पैरवी की.

Advertisement
Advertisement