नागपुर: मुंबई उच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर राज्य के गृह मंत्रालय से जवाब मांगा. जिसमें नागपुर जिला न्यायालय में एक न्यायाधीश के साथ वकील द्वारा मारपीट और सोलापुर के जिला न्यायालय में तलवार के साथ एक व्यक्ति के पकड़े जाने की घटना शामिल है.
इसके पहले न्यायमूर्ति अभय ओक और न्यायमूर्ति ए के मेनन की खंडपीठ को बताया गया कि उच्च न्यायालय ने अगस्त २०१८ में राज्य सरकार को न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त कदम उठाने का निर्देश दिया था. जिसका कड़ाई से पालन नहीं हो पा रहा है. नागपुर के जिला न्यायालय में एक न्यायाधीश के साथ हुई मारपीट की घटना इस बात का उदाहरण है. इस पर खंडपीठ ने राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों को न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. इस बीच खंडपीठ को कोर्ट की इमारतों को आग से बचाने और फायर ऑडिट का काम पूरा न होने की भी जानकारी दी गई. इस पर सरकारी वकील ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि अदालतों की इमारत का अग्निसुरक्षा से जुड़ा ऑडिट का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि कई इलाकों की स्थानीय कोर्ट की ओर से प्रशासकीय मंजूरी न मिलने से ऑडिट का काम अधर में है. उल्लेखनीय यह विगत वर्ष नागपुर जिला न्यायालय की ऊपरी मंजिल से एक वकील ने खुद कर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले को लेकर भी न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था पर काफी उंगलियां उठी थी.