
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सूत्र ने बताया, ‘वह सख्त थीं और विवादों को उत्पन्न कर देती थीं…और जब भी वह मुश्किल में पड़ती थीं तो पार्टी की लाइन का सहारा लेती थीं या विचारधारा का राग अलापने लगती थीं, इससे पार्टी और सरकार को उनके बचाव में उतरना पड़ता था।’ उनसे केवल आरएसएस ही नाखुश नहीं था बल्कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी ‘लंबे समय से बेहद नाराज थे।’
सूत्रों के मुताबिक ईरानी की जगह पीएम मोदी ने प्रकाश जावड़ेकर को इसलिए मानव संसाधन मंत्री बनाया क्योंकि उनके बारे में माना जाता है कि वह विवादों से दूर रहते हैं। छात्र नेता के रूप में उनका अतीत का अनुभव भी उनके पक्ष में रहा क्योंकि प्रधानमंत्री युवाओं के समर्थन को फिर से हासिल करना चाहते हैं, जिनसे हालिया दौर में सरकार से टकराव की स्थिति रही।
लेकिन उनके डिमोशन के बावजूद सूत्रों के मुताबिक स्मृति ईरानी को अभी भी टैलेंट माना जा रहा है। सूत्र के मुताबिक, ”इस बात की संभावना है कि इस मौजूदा झटके से वह सीखेंगी।”

बैंक और सरकारी अधिकारियों के साथ उनके घर पर आयोजित एक चाय पार्टी में कुछ बाहरी लोग भी उपस्थित थे, यह बात भी उनके खिलाफ गई। इसी तरह इनके पिता यशवंत सिन्हा की मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणियां भी खिलाफ गईं।








