Published On : Thu, Oct 6th, 2016

‘फर्स्ट सिटी’ साकार करने के प्रस्ताव पर फैसला लें : हाईकोर्ट

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Nagpur: ‘सेज’ के तीन हजार फ्लैट्स फर्स्ट सिटी गृह प्रोजेक्ट बाहरी निवेश से पूरा करने के लिए रिटॉक्स बिल्डर्स एंड डेवलपर्स कंपनी ने महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी (एमएडीसी) को प्रस्ताव दिया है.

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने इस प्रस्ताव पर एक माह में फैसला लेने का आदेश बुधवार को एमएडीसी को दिया है. प्रकल्प तत्काल पूरा होने पर ​सैकड़ो ​ग्राहकों को राहत मिलेगी.

मामले पर न्यायमूर्ति-द्वय भूषण धर्माधिकारी व अतुल चांदुरकर की खंडपीठ में सुनवाई हुई. फर्स्ट सिटी एमएडीसी का प्रकल्प है. इसका ठेका पहले रिटॉक्स बिल्डर्स को ही दिया गया था. विविध घटनाक्रम के बाद ठेका रद्द किया गया. सरकार ने प्रोजेक्ट का ठेका अभी तक अन्य कंपनी को नहीं दिया है. रिटॉक्स बिल्डर्स बाह्य निवेश से प्रकल्प को पूरा करने के लिए तैयार है. इसके लिए एमएडीसी को प्रस्ताव दिया गया है. इसमें अनुरोध किया गया है कि ठेका रद्द करने का फैसला वापस लेकर इसे साकार करने के लिए नए सिरे से नियुक्ति की जाए. प्रकल्प को पूरा करने के लिए रिटॉक्स मलेशिया की आईजेएम कंपनी की आर्थिक मदद लेने वाला है.

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प्रोजेक्ट में आईजेएम 120 करोड. रुपए का निवेश करने को राजी है. इसमें से 12 करोड. रुपए एमएडीसी को दिया गया है. लेकिन अंतरिम आदेश से बात आगे नहीं बढ. पा रही थी. हाईकोर्ट ने अब अंतरिम आदेश वापस लिया है. इससे एमएडीसी के लिए रिटॉक्स बिल्डर्स के प्रस्ताव पर फैसला लेने का रास्ता खुल गया है.

प्रोजेक्ट को लेकर पहले वर्ष 2006 में एमएडीसी व रिटॉक्स बिल्डर्स में करार हुआ था. वर्ष 2007 में प्रकल्प के काम की शुरुआत हुई. उस समय प्रकल्प के फ्लैट ‘सेज’ के बाहर के ग्राहकों को बेचा जा सकता था. इसके बाद केंद्र सरकार ने अक्तूबर 2010 में अधिसूचना जारी कर ‘सेज’ के गृह प्रकल्प के फ्लैट केवल ‘सेज’ के ग्राहकों को ही बेचने की शर्त लागू की. फस्र्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम इस अधिसूचना के पहले शुरू हुआ था. जिससे रिटॉक्स बिल्डर्स ने ‘सेज’ के बाहर के ग्राहकों को फ्लैट बेचे थे. फिर भी रिटॉक्स बिल्डर्स के खिलाफ माहौल तैयार हुआ. उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. इस दिक्कत से रिटॉक्स बिल्डर्स प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं कर पाया. अर्जी कर दी गई खारिज

इसे देखते हुए समय बढ.ाकर देने के लिए एमएडीसी को रिटॉक्स बिल्डर्स ने अर्जी दी थी. इसे खारिज कर दिया गया. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट ने मामले को ट्रिब्यूनल के मार्फत सुलझाने का आदेश दिया था. ट्रिब्यूनल का फैसला कंपनी के खिलाफ आया. इस फैसले को रिटॉक्स बिल्डर्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में रिटॉक्स ने गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आपसी समझौते से मामले को हल करने का सुझाव दिया.

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