Published On : Sat, May 30th, 2020

शैक्षणिक सत्र तय करे सरकार:आर टी ई एक्शन कमिटी

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भारत में कोरोना महामारी से तरहाई मची हुई है वहीं दूसरी ओर पालकों को शालाओं द्वारा प्रतिदिन संपर्क कर फ़ीस भरने की यातना दी जा रही है जहाँ लॉकडाउन में लोगों की आय 50% हो गई है और नागरिकों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी ऐसी आपदा में शिक्षा की फिर अदायगी की परिस्थिति पालकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है एक तरफ़ सरकार ने शॉषण निर्णय निकालकर सभी स्कूलों को चेतावनी दी है

कि विगत सत्र की फ़ीस EMI अनुसार ले और 2021 के सत्र के लिए फ़ीस न बढ़ाएं लेकिन नियम क्या कहता है शाहिद शरीफ़ चेयरमैन आर टि इ एक्शन कमिटी ,बताया की मुफ़्त शिक्षा के अधिकार अंतर्गत शैक्षणिक सत्र पहली से लेके छठवीं कक्षा तक 2सौ दिन का होगा और सातवी से लेके आठवी तक 220 दिन का होगा और उसी प्रकार 1000 घंटे अभ्यास क्रम अनुसार वार्षिक सत्र होगा।सरकार पहले कोविद १९ का शैक्षणिक सत्र तय करे उसके बाद ही नए सत्र के लिए ट्यूशन फ़ीस तय होगी,स्कूल यदि सौ दिन के लिए शैक्षणिक सत्र चलाती है तो ऐसी स्थिति में ट्यूशन फ़ीस आधी होगी ।

सरकार ने ये भी कहा है कि फ़ीस कम होनी चाहिए क्योंकि स्कूलें संचालित नहीं हो रही है ऐसी स्थिति में स्कूलों को ख़र्चा नहीं है वहीं दूसरी ओर शालाएँ शिक्षकों को वेतन देने से कतरा रही यह कहकर कि हमें फ़ीस प्राप्त नहीं हुई है लेकिन हक़ीक़त उस समय सामने आएगी जब शिक्षण विभाग स्वयं देखेगा स्कूलों द्वारा दी गई बैलेंस शीट जिसमें स्कूल के ख़र्चे और लाभ स्पष्ट रूप में दिखाई दे रहा है नियम कहता है साला द्वारा NOC लेने के पूर्व इस स्कूल को संचालित नो प्रॉफिट नो लॉस में करेंगे ऐसी परिस्थिति में सरकारी इन्हें परवानगी देती है

शिक्षण अधिकारी चाहें तो शिकायत मिलने पर परवानगी निकाल भी सकते हैं वहीं दूसरी ओर पालकों से परिवहन सेवा ना देते हुए भी फ़ीस माँगी जा रही है लेकिन अधिकांश स्कूल परिवहन सेवा आउटसोर्सिंग करती हैं और उसके अनुसार ट्रांसपोर्ट कमिटी लीड के मुताबिक़ प्रति किलोमीटर के हिसाब से विद्यार्थियों का शुल्क लिया जाता है और इसका नियंत्रण स्थानीय सड़क परिवहन अधिकारी करता है अब यहाँ स्कूले किस बात की फ़ीस माँग रही ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर और निजी स्तर पर जो शालाएँ बसे संचालित करती हैं वे उसे अपने स्कूल के संचालित ख़र्चे में दर्शाती है और स्कूल बस के टैक्स में इनको छूट भी मिलती है जब सेवा भी नहीं गई तो शुल्क किस लिए ,पालक नियमानुसार ही फ़ीस की अदायगी करें अन्यथा उप संचालक और हमारी संस्था को शिकायत कर सकते हैं।