नागपुर: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को शीतकालीन सत्र के दौरान महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर बात की। उन्होंने कहा कि बीजेपी-शिवसेना सरकार इस मुद्दे पर तीन मंत्रियों की एक कमेटी बनाएगी। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और सरकार कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों के अधिकारों के लिए दृढ़ हैं। बेलगावी और उत्तरी कर्नाटक में आसपास के इलाके पर महाराष्ट्र के दावों पर दोनों राज्यों को बीच विवाद है, जिसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि “यह सच है कि कर्नाटक पाकिस्तान नहीं है इसलिए चीजों को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
इसके लिए हम तीन मंत्रियों की एक समिति बनाएंगे।” उन्होंने कहा कि “कर्नाटक में हमारे मराठी भाषी लोगों ने विरोध के लिए आह्वान किया था, लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। हम कोशिश कर रहे हैं कि वे जल्दी रिहा हो जाएं। लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है और हमें लगता है कि कर्नाटक सरकार के उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लेने का फैसला गलत है।” डिप्टी सीएम ने कहा कि कर्नाटक के मराठी भाषी लोग पिछले 20 सालों से विरोध कर रहे हैं लेकिन उन्हें हर साल सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है। 2009 में कई महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कार्यकर्ताओं को पीटा गया था। हम सभी को सीमा विवाद पर एक स्टैंड लेने की जरूरत है। हमारे सीएम और हमारी सरकार कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों के अधिकारों के लिए दृढ़ हैं। हम उनके साथ हैं।” विपक्ष ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई के ‘फर्जी’ ट्विटर हैंडल के मुद्दे पर भी हंगामा किया, जिसमें दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद के बीच ‘भड़काऊ टिप्पणियां’ की गई थीं।
विपक्ष के हंगामे पर डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा कि “हमने इस विवाद को लेकर कर्नाटक के सीएम से मुलाकात की। सभी ट्वीट फर्जी हैंडल से किए गए थे।” इससे पहले दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने पूछा कि शिवसेना-बीजेपी सरकार इस मामले में चुप क्यों है और कहा कि ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र सरकार ‘फर्जी’ ट्विटर हैंडल के मुद्दे पर विवाद को खत्म करने में कर्नाटक की मदद कर रही है।