नई दिल्ली — कोचिंग सेंटर्स की बढ़ती निर्भरता और डमी स्कूलों की बढ़ती प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने एक 11 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की है। यह समिति देश में औपचारिक स्कूली शिक्षा को मजबूत करने और शिक्षा प्रणाली में संतुलन बहाल करने के उपाय सुझाएगी।
इस समिति की अध्यक्षता उच्च शिक्षा सचिव वीनीत जोशी करेंगे। समिति में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के अध्यक्ष, स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव, IIT मद्रास, त्रिची और कानपुर के प्रतिनिधि, और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के अधिकारी शामिल होंगे। साथ ही, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एक निजी विद्यालय के प्राचार्यों में से तीन सदस्यों को नामांकित किया जाएगा।
यह कदम मार्च 2025 में CBSE द्वारा लिए गए उस निर्णय के बाद आया है जिसमें डमी स्कूलों में नामांकित छात्रों को कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। डमी स्कूल वे संस्थान होते हैं जहाँ छात्र केवल नाममात्र के लिए नामांकित रहते हैं, लेकिन नियमित कक्षाएं नहीं लेते। ये संस्थान अक्सर जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों द्वारा चुने जाते हैं, जिससे औपचारिक स्कूली शिक्षा प्रभावित होती है।
समिति को जिन प्रमुख मुद्दों पर काम करना है, उनमें शामिल हैं:
* डमी स्कूलों के बढ़ने के कारणों और उनके प्रभावों की जांच।
* कोचिंग संस्थानों के चलते औपचारिक शिक्षा पर पड़ रहे प्रभाव का मूल्यांकन।
* स्कूल और कोचिंग के पाठ्यक्रम में असंतुलन की पहचान और समाधान।
* कक्षा में रटने की प्रवृत्ति को कम कर तर्कशीलता और सोचने की क्षमता को बढ़ावा देने के उपाय।
समिति यह भी जांचेगी कि प्रतियोगी परीक्षाएं स्कूली शिक्षा में कितनी प्रभावी और निष्पक्ष हैं, और इन परीक्षाओं की वजह से कोचिंग उद्योग कैसे फल-फूल रहा है।
इसके अलावा, समिति छात्रों और अभिभावकों में वैकल्पिक करियर विकल्पों के बारे में जागरूकता, करियर काउंसलिंग की उपलब्धता, और कोचिंग सेंटर्स द्वारा भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित प्रचार रणनीतियों की भी समीक्षा करेगी।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कोचिंग सेक्टर में भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। समिति इन पहलुओं की भी समीक्षा करेगी और समाधान सुझाएगी।
जोशी समिति की सिफारिशों से देश की शिक्षा नीति में बड़े बदलाव की उम्मीद है, जिससे डमी स्कूल और कोचिंग-आधारित शिक्षा प्रणाली पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और औपचारिक स्कूली शिक्षा को फिर से केंद्र में लाया जा सकेगा।