गोंदिया। 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नेताओं के दलबदल के साथ पार्टी के गठबंधन और विलय की खबरें लगातार आ रही है।
महाराष्ट्र में शिवसेना ( शिंदे गुट ) के बाद राष्ट्रवादी ने बीजेपी को समर्थन दिया है जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी को आने वाले चुनावों में इसका बड़ा फायदा होगा।
बता दें कि प्रफुल्ल पटेल के गृह क्षेत्र गोंदिया -भंडारा जिले में जनवरी 2023 से इस बात के कयास लग रहे थे कि ED की कार्रवाई और दबाव के बाद प्रफुल्ल पटेल जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं , इसी आशंका को लेकर नागपुर टुडे ने 20 जनवरी 2023 को गोंदिया के रामनगर स्थित बंगले पर आयोजित पत्र परिषद के दौरान सांसद प्रफुल्ल पटेल से सवाल किए थे ।
शरद पवार के सहयोगी माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल ने अपने राजनीतिक गुरु शरद पवार को गुरु पूर्णिमा के एक दिन पूर्व ‘ पार्टी टूट ‘ का बड़ा गिफ्ट दिया है।
उल्लेखनीय है कि शरद पवार ने पिछले महीने पार्टी के 24 वें स्थापना दिवस पर सुप्रिया सुले के साथ राकंपा के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर प्रफुल पटेल को मनोनीत किया था जिसके बाद प्रफुल्ल पटेल के प्रथम आगमन को लेकर राकांपा की ओर से नागपुर भंडारा गोंदिया जिले में तैयारियां शुरू कर दी गई जिसका आयोजन ऐन मौके पर रद्द कर दिया गया।
अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल के दांव से महाराष्ट्र में सियासी तनाव चरम पर है तथा महाराष्ट्र में राकांपा के कई पार्टी दफ्तरों पर शरद पवार समर्थकों ने हंगामा खड़ा करते हुए प्रफुल्ल पटेल के साथ शपथ लेने वाले अजीत पवार , छगन भुजबल , दिलीप वड़से पाटील , हसन मुश्रीफ , धनंजय मुंडे , धर्मराव आत्राम , अदिति तटकरे ,संजय बनसोडे , अनिल पाटिल सहित बीजेपी को समर्थन देने वाले राकांपा विधायकों के चेहरे पर काली स्याही फेंक कालिख पोत दी है।
वहीं गोंदिया- भंडारा जिले के राकांपा कार्यकर्ता है इस बात को लेकर पशोपेश में है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में वे राकांपा सुप्रीमो शरद पवार का साथ दें या सांसद प्रफुल पटेल का ? यहां के संसदीय क्षेत्र में एक-दो दिन में कार्यकर्ताओं की स्थिति साफ होने के आसार बने हुए हैं।
अब 2024 के फार्मूले के तहत बने नए गठबंधन के बाद क्या प्रफुल्ल पटेल जल्द ही केंद्र में मंत्री पद से नवाजें जाएंगे या फिर गोंदिया भंडारा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के साझा उम्मीदवार होंगे ? इस बात की अटकलें भी शुरू हो गई है ।
शरद पवार ने कहा- प्रफुल्ल पटेल ने धोखा दिया है
सत्ता , मंत्री पद और कुर्सी की लालसा में तुच्छ राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण पिछले साढ़े 3 वर्षों में के दौरान महाराष्ट्र की राजनीति में दिखाई दे रहा है।
पार्टी में हुई बगावत के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा- असली एनसीपी कौन है , इसका फैसला जनता करेगी ? जनता को मालूम है कि पार्टी किसने बनाई थी इसके साथ उन्होंने कहा प्रफुल्ल पटेल ने धोखा दिया है।
वहीं साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रफुल्ल पटेल के साथ पहुंचे उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा- यह अफवाह है कि हमने पार्टी तोड़ी है , हम महाराष्ट्र की सरकार में तीसरी पार्टी के तौर पर जुड़े हैं और मेरे साथ एनसीपी के सभी विधायक हैं।
इस तरह भतीजे अजीत पवार ने बगावत के बाद अब पार्टी पर कब्जा करने को लेकर चाचा शरद पवार को खुली चुनौती देते कहा- हम पार्टी के चुनाव चिन्ह की लड़ाई लड़ेंगे।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि पार्टी टूट के बाद अब शरद पवार क्या करेंगे।
सोशल मीडिया पर यूजर्स निकाल रहे भड़ास- कट का रेट बढ़ जाएगा , क्योंकि नया साझेदार जन्म-जन्म से भूखा है ?
महाराष्ट्र के राजनीति में जारी सियासी तनाव के बीच सोशल मीडिया ( गोंदिया विधानसभा ग्रुप ) पर सभी पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी-अपनी भड़ास निकालते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
एक यूजर ने कहा- बीजेपी एक ऐसी गंगा बनती जा रही है जिसमें शामिल होकर भ्रष्टाचार में लिप्त नेता साफ-सुथरे हो जाते हैं तमाम पार्टियों और उनके नेताओं ने अपना ज़मीर खो दिया है।
शिवसेना (उद्धव ) ने जहां बाला साहेब की हिंदूवादी विचारधारा को त्याग कर कांग्रेस से हाथ मिलाया तो बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के मद्देनजर अब राष्ट्रवादी से गठबंधन कर लिया है।
एक यूजर्स ने लिखा- जिसे बीजेपी हाईकमान के नेता भ्रष्ट और परिवारवाद पार्टी करार देते हैं उसी राकांपा के साथ गठबंधन किया जाता है।
गोंदिया की राजनीति में भी बीजेपी इसी तर्ज पर काम कर रही है यहां जिला परिषद में 1 साल पूर्व भाजपा और चाबी संगठन ने राष्ट्रवादी के साथ साझा गठबंधन कर सत्ता हथिया ली और कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
वहीं एक अन्य यूजर्स ने लिखा- बांध तालाब और नदियों को पेशाब से भर देने वाले अजीत पवार राज्य के उप मुख्यमंत्री बने हैं सभी बीजेपी नेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं।
अब महाराष्ट्र की सत्ता में तीसरे साझेदार के आने से कट का रेट बढ़ेगा क्योंकि नया साझेदार जन्म जन्म से भूखा है।
एक अन्य यूजर्स ने लिखा- बुरा तो 40 शिंदे गुट के विधायकों के साथ भी हुआ है जो पिछले साल से मंत्री पद की शपथ लेने की सोच रहे हैं लेकिन अचानक राष्ट्रवादी के 9 विधायक आए और उसी दिन दिनदहाड़े मंत्री बना दिए गए , उक्त नेता महाराष्ट्र के जनहित के लिए नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए गठबंधन पर रहे हैं।
रवि आर्य