गोंदिया। राजनीति में कोई किसी का स्थाई दुश्मन और दोस्त नहीं होता? वक्त की नज़ाकत को समझकर राजनीति अपनी करवट बदलती है। अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं का तालमेल बिठाकर चुनाव से पहले और चुनाव के बाद में गठबंधन बनते रहते हैं।
राजनीतिक शक्ति साझा करने और ऐन केन सत्ता तक पहुंचाने के लिए भाजपा और राष्ट्रवादी के बीच गोंदिया जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव को लेकर आपसी गठबंधन हो चुका है ।
यह समझौता फिफ्टी- फिफ्टी की तर्ज पर हुआ है। बता दें कि 13 साल बाद गोंदिया डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक का चुनाव 29 जून को होगा , 30 जून को परिणाम घोषित किए जाएंगे। शुक्रवार 30 मई नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी , एनएमडी कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित बैठक के दौरान पूर्व विधायक जैन और तीन वर्तमान विधायकों ने अपने मार्गदर्शन में कहा- किसानों के लिए काम करने वाली सहकारी बैंक में कोई घोटाले नहीं हुए हैं , नियमित रूप से किसानों को कर्ज वितरित किया जा रहा है गोंदिया के कुड़वा नाका चौक पर बनी मुख्य इमारत 11 वर्ष पुरानी है अब प्रत्येक तहसील में इसी तर्ज पर मॉडल इमारत बनेगी तथा 4 मोबाइल एटीएम में और वृद्धि होगी ,जीडीसीसी बैंक ने एक सफल बैंक के रूप में ख्याति अर्जित की है।
राजनीतिक शक्ति साझा करने के लिए निकाला पैदल मार्च
राजनीति ( पॉलिटिक्स ) दो शब्दों का एक समूह है अर्थात राज + नीति यानी शासन करने की कला ? किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु विशेष दलों द्वारा अलग-अलग विचारधारा और मतभेदों के बावजूद एक दूसरे से जुड़ जाना राजनीतिक गठबंधन कहलाता है।
राजनीति में कब और कैसे समीकरण बदल जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता ,
भाजपा और राष्ट्रवादी के हालिया फैसले को इस दृष्टि से देखा जा रहा है।
इसी के तहत 20 संचालकों वाली GDCC बैंक के चुनाव में दोनों दलों ने ” सहकार पैनल ” के नाम से साझा गठबंधन बनाया है।
राजनीतिक शक्ति का साझा प्रदर्शन करने हेतु एनएमडी कॉलेज से बैंक इमारत तक शुक्रवार 30 मई को नामांकन दाखिल करने हेतु पैदल मार्च निकाला गया।
फिफ्टी-फिफ्टी हिस्सेदारी के तहत राष्ट्रवादी 10 और बीजेपी से 10 नामांकन दाखिल किए गए।
महाराष्ट्र की सत्ता में युति लेकिन बैंक चुनाव में शिंदे गुट किक आऊट
महाराष्ट्र की सत्ता में शिवसेना शिंदे गुट शामिल है लेकिन जीडीसीसी बैंक चुनाव में शिंदे गुट को बीजेपी और राष्ट्रवादी द्वारा दरकिनार कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पिछला चुनाव कांग्रेस और राष्ट्रवादी ने साथ मिलकर लड़ा था तथा प्रफुल्ल अग्रवाल और राजेंद्र जैन दोनों को जीत नसीब हुई थी ,उस चुनाव में भाजपा के मात्र तीन संचालक विजयी हुए थे।
व्यक्तिगत मतदार संघ के 143 मतदाताओं में से 11 की मृत्यु हो चुकी है इस चुनाव में 132 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
लेकिन 78 के नाम सूची से काटने के लिए प्रफुल्ल अग्रवाल ने जो न्यायालय में याचिका दाखिल की थी उस पर फैसला उनके खिलाफ गया , ऐसे में अब कांग्रेस की ओर से प्रफुल्ल अग्रवाल की पैनल को इन 78 वोटर्स का कितना समर्थन मिलता है यह तो आने वाला वक्त बताएगा ? फिलहाल कांग्रेस ओर से 8 संचालक जीतने का दावा किया जा रहा है जबकि बीजेपी और राष्ट्रवादी के सहकार पैनल की ओर से 20 की 20 सीट जीतने का दावा किया जा रहा है।
राष्ट्रवादी और बीजेपी के साझा शक्ति प्रदर्शन पैदल मार्च में पूर्व विधायक राजेंद्र जैन , विधायक राजकुमार बडोले , विधायक विनोद अग्रवाल , विधायक विजय रहांगडाले , भाजपा जिला अध्यक्ष
सीताताई रहांगडाले , पूर्व विधायक हेमंत पटले, पूर्व विधायक खोमेश्वर रहांगडाले, पूर्व विधायक भैरसिंग नागपुरे, रांकापा जिल्हाध्यक्ष प्रेमकुमार रहांगडाले विशेष रूप से उपस्थित थे।
रवि आर्य