Published On : Tue, Nov 22nd, 2016

परिणय की जीत से सवरेंगा अग्रवाल का आर्थिक – राजनितिक भविष्य

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CM Fadnavis and Parinay Fuke

नागपुर – विधान परिषद की भंडारा-गोंदिया स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव की आज मतगणना है। इस चुनाव में एनसीपी और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है। कांग्रेस के मतदाता निर्णायक भूमिका में है पर अगर वो स्थिर रहे तो एनसीपी और बागी बन भाजपा के पक्ष में मतदान किये तो बीजेपी का जीतना तय माना जा रहा है।

खबर है कि गुरुवार को भाजपा मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार के पिता विधायक गोपालदास अग्रवाल की मुम्बई में गुप्त बैठक हुई। दोनों ने अपने-अपने उम्मीदवार के पक्ष में एक-दूसरे मतदाता की दूसरी पसंद का मत डलवाने की गुजारिश की। संभवतः इसके लिए गोपालदास अग्रवाल ने अपने उम्मीदवार यानि बेटे प्रफुल्ल के भवन निर्माण/प्रॉपर्टी व्यवसाय से सम्बंधित 3 महत्वपूर्ण काम करने का ठोस आश्वासन लिया।यह तीनों काम मुंबई से सम्बंधित है। अगर तीनो काम दिए गए वचन के हिसाब से मुख्यमंत्री ने कर दिया तो प्रफुल्ल को तत्काल विधायकी की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। या फिर बीजेपी उम्मीदवार परिणय की जीत के बाद कही कांग्रेसी विधायक गोपालदस अग्रवाल दलबदल कर वर्षो पुरानी अपनी महत्वाकांक्षा पूरी न कर ले।

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वही दूसरी ओर एनसीपी उम्मीदवार राजेंद्र जैन के लिए एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।पटेल का सर्वपक्षीय स्थानीय और पक्ष के राष्ट्रीय नेताओं से घनिष्ठता किसी से छुपी नहीं है।इस चुनाव में बीजेपी नेता नितिन गडकरी और गोंदिया के स्थानीय सांसद नाना पटोले की भूमिका स्पष्ट नहीं है।

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के लिए पटेल के उम्मीदवार को कही वॉकओवर न मिल जाये ? ऐसी चर्चा राजनीतिक हलको में चर्चा है कि वर्ष 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में खुद के लिए सर्वदलीय समन्वय बनाकर निर्विरोध राष्ट्रपति बनना चाहते है। इसलिए महीनो पूर्व से हर पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है। वह भी निर्णय लेने वाला राष्ट्रपति, न की डमी। वही यह भी सत्य है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पहल पर प्रधानमंत्री मोदी किसी को कोई वादा नहीं किये होंगे होंगे। जबकि मोदी,पटेल,अदानी का संबंध किसी से छुपा नहीं है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने परिणय फुके से ली गई सफल राजनैतिक सहयोग के एवज में उसे सभी अपने करीबी और कट्टर भाजपाइयों को दरकिनार कर उम्मीदवारी ही नहीं दी , बल्कि उसके जीत के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बनाये हुए है। कही मुख्यमंत्री अगले साल विदर्भ की घोषणा तो नहीं करने वाले है? इसके लिए दोनों सदनों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे है।यह भी संभावना है कि वर्त्तमान में विधानपरिषद में सत्तापक्ष आकड़ो के मामले में कम है। इसमें इजाफा करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री की मेहनत जायज है।

समाचार लिखे जाने तक मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिस उम्मीदवार ने पहली पसंद का 194 वोट लिया, उसे जीता समझा जा सकता है। लेकिन यह जीत या हर दूसरी पसंद के वोट की गणना के बाद तय होंगी ? कुल मतदान 387,जिसमे से 222 पुरुष और 211 महिला मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया था।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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