Published On : Tue, Apr 30th, 2019

गोंदिया स्टेशन की एस्केलेटर सेवा ठप्प

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स्वर्ग की सीढ़ियां यात्रियों के किसी काम की नहीं

गोंदिया: गोंदिया एक बड़ा रेल्वे जंक्शन है। लंबे समय से रेल यात्री संगठनों द्वारा एस्केलेटर सुविधा की मांग की जा रही थी।
ए-ग्रेड के श्रेणी में शामिल रेल्वे स्टेशनों पर बिजली स्वचलित सीढ़ियां (एस्केलेटर) व लिफ्ट सिस्टम लगाने की परियोजना शुरू हुई, इसी के तहत गोंदिया रेल्वे स्टेशन पर भी स्वचलित सीढ़ियों का कार्य जमिनी स्तर पर शुरू हुआ। प्लेटफार्म नं. 1 से प्लेटफार्म नं. 5 तक जाने के लिए एस्केलेटर सीढ़ियों को कवर किया गया। इन स्वचलित सीढ़ियों पर डेढ़ करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई। गोंदिया स्टेशन पर जब निर्माण कार्य और सौंदर्यीकरण पुरा हुआ तो यात्रियों में यह उम्मीद जगी कि, अब उन्हें इसका नियमित लाभ मिल सकेगा, लेकिन अफसोस एैसा हो न सका। कभी तकनीकि गड़बड़ी, तो कभी अन्य कोई पावर कट का कारण बताकर गोंदिया रेल्वे स्टेशन की स्वचलित सीढ़ियां अधिकांश समय बंद ही रहती है, लिहाजा बुजुर्ग और शारीरिक रूप से असक्षम यात्रियों को मजबूरीवश या तो प्लेटफार्म पर मौजुद एकमेव बैटरी वाहन का सहारा लेना पड़ता है , तो कई अवसरों पर बुजुर्गों को उनके परिजन कंधों का सहारा देकर रैम्प सीढ़ी से उपर की ओर ले जाते हुए दिखायी पड़ते है। कुल मिलाकर अब गोंदिया स्टेशन की एस्केलेटर सेवा, वो स्वर्ग की सीढ़ियां बन चुकी हो जो स्वप्न में दिखायी तो देती है लेकिन इंसान मंजिल तक पहुंच नहीं सकता?

विशेष उल्लेखनीय है कि, रेल्वे द्वारा स्टेशनों की ग्रेडिंग उसकी इंकम (आमदनी) और यात्रियों की संख्या से तय होती है, जिसके आधार पर रेल्वे द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार स्टेशनों को रेल्वे द्वारा ग्रांट (अनुदान) जारी किया जाता है, जिससे स्टेशनों का प्रास्ताविक विकास कार्य संपन्न होता है। गोंदिया स्टेशन को ए-ग्रेडिंग का दर्जा हासिल है, और यह अधिक यात्रियों के आवाजाही के लिहाज से मिला है, किन्तु स्वचलित सीढ़ियों की सुविधा यहां के यात्रियों को उपलब्ध न होना और डेढ़ करोड़ के खर्च का महज शो-पीस बनकर रह जाना यह अपने आप में यह बताने को काफी है, कि गोंदिया के स्टेशन के अधीक्षक और यहां स्थापित उपभोक्ता रेल संगठनों के प्रतिनिधी यात्री सुविधाओं को लेकर किस हद तक सजग है?

– रवि आर्य