Published On : Fri, Aug 2nd, 2019

गोंदियाः टंकी में छिपाकर रखे गए 5 दुलर्भ प्रजाति के कछुए बरामद

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मुक्त कराए गए 5 कछुओं को गंगानदी जैसे दरिया में छोड़ा जाएगा

गोंदिया: एक ओर कछुओं को संरक्षित करने का काम सरकार कर रही है तो वहीं दुसरी तरफ इस प्रयास पर पानी फेरने में कुछ अज्ञात तस्कर जुटे है, लिहाजा इन मासूमों और प्यारे जीवों का अस्तित्व अब खतरे में है।

गोंदिया वनविभाग के वनपरिक्षेत्र अधिकारी सुशील नांदवटे इन्हें गुरूवार 1 अगस्त को गुप्तचर से यह पुख्ता जानकारी मिली कि, गोंदिया वनपरिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले इलाके में एक सिंटेक्स की पानी टंकी में 5 से 6 दुलर्भ प्रजाति के कछुओं को तस्करी के मकसद से छिपाकर रखा गया है, जिसके बाद उड़न दस्ते के सहायक वनसंरक्षक तेंदू व कैम्पा शेंडे साहब के मार्गदर्शन में वनपरिक्षेत्राधिकारी स्नेहल मस्कर इनके साथ टीम मौके पर पहुंची तथा सिंटेक्स की टंकी में छिपाकर रखे गए 5 दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को बरामद कर उन्हें रेस्क्यू कराते हुए जीवनदान दिया गया।

सूत्रों से प्राप्त जानकारीनुसार स्पॉट पंचनामा पश्‍चात इस प्रकरण के संदर्भ में वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39, 50, 51 एंव 9-44 अंतर्गत अज्ञातों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया है।

उक्त कार्रवाई में वनपरिक्षेत्राधिकारी सुशील गंगाराम नांदवटे, वनपरिक्षेत्राधिकारी स्नेहल मस्करे, वनपाल श्रीवास्तव, वनपाल फंटिंग, क्षेत्र सहायक वैद्य, वनरक्षक शेंडे, वनरक्षक लिल्हारे, वाहन चालक मुकेश तुरडकर व सागर ने हिस्सा लिया। बरामद किए गए इन कछुओं को गंगा नदी अथवा किसी बड़े दरिया में छोड़ा जाएगा।

कछुओं को सुख और समृद्धि का सूचक माना जाता है
कछुओं को सुख और समृद्धि का सूचक भी माना जाता है, वास्तु शास्त्रियों की सलाह पर अपने घर-बंगलों को नया खुबसूरत आकार देने तथा बैठक हाल के भीतर कांच के बर्तनों में कछुओं को रखे जाने का चलन लगातार तेजी से बढ़ रहा है। इस तरह की ही भ्रांतियों के कारण दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही।

हड्डी और मांस का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा बनाने में
जानकारों के मुताबिक सर्वाधिक आयु तक जीवित रहने वाले कछुओं का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा बनाने में भी किया जाता है। शिकारी इसके हड्डी और मांस को दवा निर्माता कम्पनीयों को भी बेचते है जहां शक्तिवर्धक दवा के रूप में इसका इस्तेमाल होता है, जिसके कारण अनेक राज्यों मेंं इनकी डिमांड बढ़ रही है तथा चोरी-छिपे गलत ढंग से इन्हें ले जाने के कारण कई कछुओं की मृत्यु भी हो जाती है। गोंदिया की सिंटैक्स टंकी से मुक्त कराए गए 5 कछुओं को वनविभाग की टीम द्वारा गंगा जैसे दरिया में छोड़ा जायेगा।

रवि आर्य