गोंदिया। सरस विश्व का सबसे विशाल उड़ने वाला पक्षी है इसकी विश्व में कुल आठ जातियां पाई जाती है उन्हीं में से सारस की एक प्रजाति कॉमन क्रेन ( साइबेरियन ) पूर्णतः विलुप्त होने की कगार पर है , लिहाज़ा अद्भुत दुर्लभ पक्षियों के श्रेणी में आने वाले कॉमन क्रेन सारस की तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं।गश्त में जुटे पुलिस जवानों ने कार्रवाई करते हुए कोलकाता से मुंबई 2 कार में भरकर भेजे जा रहे 5 सारस पक्षियों को तस्करों के चंगुल से बचाया है।
मामला कुछ यूं है कि….?
महामार्ग पुलिस केंद्र डोंगरगांव (जि. गोंदिया) के पुलिस उपनिरीक्षक दिनेश कुमार लिल्हारे, पो.नायक बनोठे, पोसि अली की टीम 12 सितंबर को महामार्ग क्र. 53 पर गश्त में जुटी थी इसी दौरान ग्राम बाम्हणी के निकट संदेहास्पद अवस्था में 2 कार पुलिस को आते दिखायी दी, जिसपर पुलिस टीम ने टोयोटो इनोवा वाहन क्र. CG-05/JB 7737 तथा सुझुकी ब्रेझा क्रमांक. CG -05/ RE. 7430 को रोका और तलाशी ली तो टोयोटो इनोवा में 2 व्यक्ति बैठे हुए थे तथा कार के पीछे के हिस्से में 5 बड़े पक्षी दिखायी दिए।
वाहन में सवार व्यक्ति ने अपना नाम समीर शाकीर मंसुरी (29) तथा हदरूद्दीन गुलाबमोयुद्दीन मौलवी (25 दोनों रहवासी सूरत राज्य गुजरात) बताया।
उसी प्रकार दूजे वाहन क्र. आर.ई. 7430 में 3 लोग बैठे थे, जिन्होंने अपना नाम मुसा शेख (24), शहजाद शेख सकील (29), पठान हुसैन गुलाम साबीर (19 , तीनों रहवासी भिंडीबाजार, सूरत रा. गुजरात) बताया।
पूछताछ में पुलिस टीम को पता चला कि, उक्त पांचों व्यक्ति कलकत्ता से मुंबई की ओर जा रहे थे।
वाहन क्र. 7737 में मौजुद पक्षियों की जब बारिकी से जांच की गई तो पता चला कि, उक्त दुलर्भ जाति के सारस पक्षी (कॉमन क्रेन) है।
इन पक्षियों की अवैध रूप से तस्करी होने की बात सामने आने पर उक्त पांचों आरोपियों को हिरासत में लिया गया तथा मामले से वनविभाग के राऊंड ऑफिसर श्री वाढई को अवगत कराया गया।
तत्काल ही राऊंड ऑफिसर वाढई अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचें तथा NGO के सावन बहेकार भी अपने सहयोगियों के साथ पहुंचे।
आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए दोनों वाहन तथा पांचों आरोपी व 5 दुर्लभ जाति के कॉमन क्रेन पक्षी वनविभाग वनपरिक्षेत्र अधिकारी गाड़वे , राऊंड ऑफिसर वाढई को सौंपे गए।
बहरहाल पकड़े गए आरोपियों से इस बात की पूछताछ की जा रही है कि यह सारस पक्षी उन्हें कोलकाता में किस जगह से किस व्यक्ति द्वारा, कहां से हासिल हुए और मुंबई में किसे सौंपे जाने थे ?
रवि आर्य