Published On : Thu, Aug 31st, 2017

संगठित हो और बाबासाहेब के मूलमंत्र को आचरण में लाएं – भदंत सुरेई ससाई

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Bhadant Surai Sasai
नागपुर: महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने शोषित और पीड़ित लोगों को पढ़ो, संगठित हो और संघर्ष करो का मूलमंत्र दिया था. इस मूलमंत्र के कारण हजारों साल से गुलामी में जी रहे समाज के लोगों में नवजागृति निर्माण हुई. लोगों को उन पर हो रहे अत्याचारों का अहसास हुआ. सभी में आत्मविश्वास का निर्माण हुआ. शिक्षा के कारण उनमें जीने की दृष्टि आई. समाज व्यवस्था के खिलाफ पिछड़े लोगों में विरोध करने की ललक भी जागी. लेकिन लोगों ने बाबासाहेब का मूलमंत्र ”संगठित” होने का मूलमंत्र नहीं अपनाया. शिक्षा में हमने प्रगति की, संघर्ष भी किया, लेकिन संगठित नहीं होने के कारण शिक्षा में प्रगति करने के बाद भी विकास का कोई अर्थ नहीं हुआ. यह धम्मसंदेश बौद्ध धम्मगुरु भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई ने अपने जन्मदिन के अवसर पर लोगों को दिया.

भदंत सुरेई ससाई ने कहा कि डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों में जीने का सामर्थ्य है. अपना जीवन सुखकर बनाना हो तो बाबासाहेब के विचार आत्मसात करने होंगे. उन्होंने कहा कि उनके विचार फैले हुए हैं. उनका विभिन्न विषयों का चिंतन बहुत बड़ा है. आज का भारत उनके विचार से ही बदल रहा है. प्रत्येक क्षेत्र में विकास के लिए उनके विचार प्रेरक व प्रेरणादायी है. बदलते भारत के विकास में डॉ. आंबेडकर के विचार मार्गदर्शक हैं. लेकिन सभी बाबासाहेब के विचार मानते हैं ऐसा नहीं है, लेकिन वे भी उनके विचार पर चलते है. दूसरी ओर जो बाबासाहेब को मानते है वे उनके विचारों को ज़्यादा नहीं मानते. जिसके कारण समाज का विकास रुका है और समाज संगठित नहीं हो सका. अब बाबासाहेब के विचार को आत्मसात करने की जरुरत है. उनके विचारो पर चलकर ही विकास किया जा सकेगा और सभी का जीवन सुखमय होगा.

भदंत ने कहा कि व्यक्ति कितना भी बड़ा विद्वान बन जाए और वो दुसरों का द्वेष करने तक अपने आपको बड़ा समझने लगे तो वह उजाले में हाथ में मोमबत्ती पकड़नेवाले अंधे जैसा ही है. लिहाजा दूसरो का द्वेष मत करो. व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए. उसे जमींन पर ही रहना चाहिए. किसी का भी मन न दुखाएं. किसी को भी कम न आंके, बात करते समय विचार करें और बात करने के बाद विचार न करें. परेशानी में समाज के लोगों का साथ दें. भदंत सुरेई ससाई ने सभी को सन्देश देते हुए एकसंघ होने और विकास के शिखर तक पहुंचने की अपील की. जिससे की ओर शांति प्रस्थापित हो. क्योकि आज दुनिया को शांति, प्रेम, करुणा और मैत्री की जरूरत है.