Published On : Thu, Sep 13th, 2018

गणेश चतुर्थी 2018: आज घर पधारेंगे गजानन, ऐसे करें पूजा पाठ, ये है शुभ मुहूर्त

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आज से गणेश चतुर्थी उत्सव का आगाज हो गया है। मंदिरों, सेक्टरों और घरों में गजानन पधारेंगे। उत्सव की पूरी तैयारी कर ली है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। गायन, चित्रकला, भजन संध्या जैसे प्रतियोगिताएं भी होंगी। मंदिरों में भी विशेष इंतजाम हो रहे हैं। कई लोग घरों में भी गणपति बप्पा की स्थापना करेंगे। चौराहों पर मूर्तियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी। मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार पर्यावरण को ध्यान में रख मूर्तियां बनाई गई हैं।

पंडित प्रकाश जोशी ने बताया कि शास्त्रों में लिखा है कि अगर किसी व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लगा है या फिर किसी झूठे मुकदमे में फंसाया गया है। वह इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करें। साथ ही भूलकर भी चंद्रमा को नहीं देखे।

ऐसा करने से व्रत खंडित हो जाएगा। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश का रूप देखकर चंद्र देव की हंसी छूट गई थी जिसके बाद गणेश जी ने उन्हें शाप दे दिया था कि आज के दिन तुम्हारी पूजा नहीं होगी।

  • ऐसे करें पूजा पाठ
  • सुबह 4 बजे उठकर पूरे घर को गंगा जल से शुद्ध करे।
  • लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें।
  • श्री गणेशाय नम: मंत्र बोलकर दीपक और धूप जलाएं।
  • फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें।
  • इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।
  • अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
  • श्री गणेशाय नम: मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु फट स्वाहा मंत्र का उच्चारण कर भगवान को फूल, फल, रोली, मौली, चंदन, पंचामृत, 11 दूर्वा घास चढ़ाएं।
  • पूरे दिन व्रत करना है और शाम को गणेश भगवान की आरती कर उन्हें मोदक का भोग लगाएं।
  • इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
  • अब गणपति की परिक्रमा करें. ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
  • इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
  • पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
  • अगले दिन जो 11 दूर्वा चढ़ाई थी उसे पीले कपडे़ में बांधकर अपने सिरहाने रख दे।

गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 12 सितंबर 2018 को शाम 4 बजकर 07 मिनट।
गणेश चतुर्थी तिथि समाप्त: 13 सितंबर 2018 को दोपहर 02 बजकर 51 मिनट।
गणपति की स्थापना और पूजा का समय: 13 सितंबर की सुबह 11 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 35 मिनट तक।
अवधि: 2 घंटे 26 मिनट।
12 सितंबर को चंद्रमा नहीं देखने का समय: शाम 04 बजकर 07 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक
अवधि: 04 घंटे 35 मिनट.
13 सितंबर को चंद्रमा नहीं देखने का समय: सुबह 09 बजकर 33 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक।
अवधि: 11 घंटे 50 मिनट।

गणेश चतुर्थी का महत्व

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। कोई भी पूजा, हवन या मांगलिक कार्य उनकी स्तुति के बिना अधूरा है। हिन्दुओं में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत होती है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी यानी कि भगवान गणेश के जन्मदिवस को देश भर में पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ मनाया जाता है। महारष्ट्र और मध्य प्रदेश में तो इस पर्व की छटा देखते ही बनती है। सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि भगवान गणेश का जन्म उत्सव पूरे 10 दिन यानी कि अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने तो अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया था।