Published On : Mon, Oct 15th, 2018

सेज के नाम पर धोखाधड़ी, जंतर-मंतर पर अनशन शुरू करेंगे किसान

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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की सेज परियोजना में ५००० एकड़ भूमि घोटाले में जिलाधिकारी द्वारा ठीक से जाँच न कराए जाने से इन दिनों किसान नाराज चल रहे हैं. लिहाजा किसानों ने अब इसका विरोध करने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर में बेमियादी भूख हड़ताल करने की इजाजत माँगी है. किसानों ने मामले की जांच कर रहे जिलाधिकारी के साथ कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संचालक पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. हड़ताल के दौरान किसानों ने जिलाधिकारी का प्रतिकात्मक शव भी रखे जाने की घोषणा की है.

मांगपत्र में यह भी अंकित किया कि अनशन के दौरान होने वाले जानमाल के नुकसान के जिम्मेदार छिंदवाड़ा के जिलाधिकारी होंगे. पुलिस प्रशासन ने भूख हड़ताल के बजाए एक दिन के धरना प्रदर्शन करने की अनुमति दी. प्रशासन से इजाज़त मिलते ही लगभग डेढ़ दर्जन किसान कल जंतर-मंतर पर आंदोलन शुरू करेंगे.

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आंदोलन के नेता नागपुर जिले के सावनेर तहसील के केलवद ग्राम निवासी नंदकिशोर ढोबले ने नागपुर टुडे को बताया कि केंद्र सरकार ने ३० जुलाई २००७ को मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सौंसर क्षेत्र (महाराष्ट्र के नागपुर जिले के सावनेर तहसील के केलवद गांव से लगकर ) में सेज की घोषणा की थी. सेज प्रकल्प के तहत मेसर्स छिंदवाड़ा प्लस डेवलपर्स कंपनी ओर मध्यप्रदेश सरकार (ट्रायफेक निगम) के बीच २७ अक्टूबर २००७ को करारनामा किया गया था. शुरुआत में सरकार की ओर से २००० हेक्टर(५००० एकड़) भूमि का अधिग्रहण करने की अनुमति दी गई थी.

करारनामा के अनुसार भूमि अधिग्रहण कानून १८९४ के तहत अधिग्रहण की कार्रवाई किया जाना तय था, जिसमें २००२ की आदर्श पुनर्वास नीति के अनुसार सम्पूर्ण सुविधा दिया जाना भी तय था. जिसमें कंपनी को शासन द्वारा स्टैम्प ड्यूटी की छूट प्रदान की गई थी.

लेकिन करारनामा व नियमों का उल्लंघन करते हुए सम्बंधित अधिकारी व उक्त कंपनी ने भी अधिग्रहण की कार्रवाई न करते हुए वर्ष २००७ से २०१३ तक ८ गांव के किसानों की भूमि ‘निजी बातचीत’ के आधार पर बाजार मूल्य न देते हुए सेज के नाम पर लगभग ५००० एकड़ भूमि खरीदी ली. जिसमें अनाधिकृत तरीके से उपपंजीयक कार्यालय द्वारा कंपनी को करोड़ों रुपए की स्टैम्प ड्यूटी की छूट प्रदान की गई, जो सरासर करारनामा व नियमों का उल्लंघन है.

ढोबले ने जानकारी दी कि सूचना अधिकार के तहत महानिरीक्षक पंजीयन अधीक्षक मुद्रा द्वारा जानकारी दी गई कि उपपंजीयक कार्यालय सौंसर द्वारा उक्त कंपनी को रजिस्ट्री में स्टैम्प ड्यूटी की छूट के सम्बन्ध में कोई आदेश नहीं दिया गया था.

सूचना अधिकार के तहत जिलाधिकारी,उपविभागीय अधिकारी, सौंसर व अन्य सम्बंधित कार्यालय द्वारा जानकारी मिली कि कंपनी को ‘निजी बातचीत’के आधार पर भूमि खरीदी करने की अनुमति नहीं दी गई थी तथा किसी भी प्रकार की सेज के सम्बन्ध में अधिसूचना जाहिर भी नहीं की गई थी.

ढोबले ने आगे बताया कि सेज घोषित होने पर सम्बंधित ग्राम पंचायत कार्यालय द्वारा ग्राम सभा में सेज के सम्बन्ध को लेकर किसी भी प्रकार का प्रस्ताव पारित नहीं किया गया.सेज घोषित होने की तिथि से ११ साल गुजर जाने के बाद भी एक भी उद्योग स्थापित नहीं हो पाई और न ही रोजगार का सृजन हो पाया.

ढोबले ने आरोप लगाया कि किसानों को लुभावने प्रलोभन देकर दलालों के माध्यम से दबावतंत्र का उपयोग करते हुए किसानों के साथ बड़ी धोखाधड़ी कर उनकी जमीन लूट ली गई.

किसानों को न्याय दिलाने के लिए २ अप्रैल २०१८ को किसानों द्वारा ग्राम सतनूर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू किया गया था. ९ दिन के भूख हड़ताल के दौरान किसानों की बिगड़ती हालत देखकर प्रशासन ने आश्वासन देकर अनशन समाप्त करवाया था. लेकिन आज ५ माह बीत जाने के बाद भी किसानों को न्याय नहीं मिला.

किसानों की मांग है कि सेज ख़ारिज कर किसानों की जमीन विधिवत वापिस की जाए. नियम तथा करारनामा के विरुद्ध काम करने वाले वाली कंपनी के पूर्व अधिकारी व वर्तमान संचालकों पर कड़क कार्रवाई हो. कंपनी को उपपंजीयक रजिस्ट्रार द्वारा अनाधिकृत तरीके से करोड़ों रुपए की स्टैम्प ड्यूटी की छूट देने पर उपपंजीयक रजिस्ट्रार व सम्बंधित अधिकारियों पर भी क़ानूनी कार्रवाई हो.




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