तलेगांव (शा.पंत) (वर्धा)। बिजली का इस्तेमाल न करते हुए पैर से चलने वाला स्पिकलर यंत्र तैयार करके अब फसल को गिला कर सकेंगे. ऐसा संशोधन यहां के पी.आर. पाटिल पॉलिटेक्निक कॉलेज के मैकेनिकल इंजीनियर शाखा के अंतिम वर्ष के चार छात्रों ने किया. विज्ञान तंत्रज्ञान ने संपुर्ण मानवी जीवन में क्रांती लाई है. कृषिप्रधान भारत की खेती अभी भी परंपरागत पद्धति से चलती है.
बढती मजदुरी और उर्वरकों पर बढ़ता खर्च होकर भी किसानों को अपेक्षित उत्पन मिलता नही. खेती को गिला करने के लिए बिजली की जरुरत रहती है. बिजली आपूर्ति खंडित करने के अनेक प्रकार चल रहे है. इसलिए इन कठिनाई पर अभियांत्रिक महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के प्रतिक पट्टेवार, केतन ठाकरे, परेश यमुनाबादे, जयंत देशमुख इन छात्रों ने बिजलीरहित स्पिकलर यंत्र तैयार किया. जिसका उपयोग पैरो से चलाने से होता है. जिससे बिजली और पैसों की बचत होगी. मजदूरों की राह न देखते हुए परिवार का कोई भी सदस्य अपनी जरुरत के हिसाब से अपना खेत गिला कर सकता है.
इस पंप से 120 फुट तक पानी खिंचकर ला सकते है. इस पंप की किमत 5 से 7 हजार तक होने से कोई भी गरीब किसान इसका लाभ ले सकता है. इस संशोधन को प्रियदर्शनी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग नागपुर, वैनगंगा कॉलेज अॉफ इंजीनियर नागपुर तथा तुलसीराम गायकवाड पाटिल कॉलेज ऑफ़ इंजिनयरिंग नागपुर इन संस्थाओं ने पुरस्कार और सम्मानपत्र देकर गौरव किया तथा प्रियदर्शनी जे.एल. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग नागपुर इस संस्था ने दूसरा पुरस्कार प्रदान किया है.
इस संशोधन में कॉलेज के प्रा. डी.आर. पाटिल तथा कॉलेज विभाग प्रमुख अतुल ठाकरे तथा कॉलेज के टेक्नीशियन सतीश डोलस इन सबका सहकार्य मिला. इस यंत्रणा को पेटेंट करने का प्रयास शुरू है. ऐसा प्रा. अतुल ठाकरे तथा प्रा. डी.आर.पाटिल ने कहां. छात्रों की सफलता के लिए अभिभावक अनिलराव ठाकरे आर्वी, सुरेशराव पट्टेवार वर्धा, नारायणराव, देशमुख धावसा, सुनीताताई यमुनाबादे आर्वी ने शुभकामनाएं दी.
