Published On : Thu, Oct 13th, 2016

निमगड़े परिवार ने पुलिस की जाँच पर उठाये सवाल, परिवार को जान का खतरा बताते हुए सीबीआई जाँच की माँग

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Family demands CBI probe into Eknath Nimgade murder

नागपुर: आर्किटेक एकनाथ निमगड़े के परिवार ने पुलिस की जाँच पर सवाल उठाए है। निमगड़े के पुत्र अनुपम निमगड़े और उज्वल निमगड़े ने उनके पिता की हत्या को 40 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपियों को पकड़ने में पुलिस की नाकामी को लापरवाही बताया है। निमगड़े परिवार ने अब इस हत्याकांड की जाँच सीबीआई से करने की माँग की है। अनुपम और उज्वल ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने पुलिस को दिए अपने औपचारिक बयान में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध मोहिते के साथ अन्य आरोपियों पर संदेह व्यक्त किया था। पर राजनितिक दवाब के चलते पुलिस इन रसूखदारों से पूछताछ तक नहीं कर रही है। निमगड़े के परिवार ने खुद की जान को भी खतरा होने की बात कहते हुए पुलिस सुरक्षा की माँग की है। जो उन्हें अब तक नहीं मिली है।

नागपुर श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में अपनी बात रखते हुए। अनुपम निमगड़े ने बताया कि वर्धा रोड की जमीन का अधिकार छोड़ने का दबाव बनाते हुए करीब डेढ़ वर्ष पहले उनके पिता एकनाथ निमगड़े को उनके ही घर में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने धमकी दी थी। अनुपम और उज्वल ने पुलिस पर राजनितिक लोगो और भूमाफिया के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। एकनाथ निमगड़े के परिवार ने 40 दिनों के बाद भी मामले की जाँच कर रही पुलिस और क्राइम ब्रांच की नाकामी के चलते सीबीआई जाँच की माँग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

हत्याकांड को दलित अत्याचार से जोड़ा
आर्किटेक हत्याकांड को अब दलित अत्याचार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है गुरुवार को निमगड़े के बेटों द्वारा ली जा रही पत्र परिषद में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया (सेक्युलर) के श्याम गायकवाड़ भी उपस्थित थे। उन्होंने कहाँ कि निमगड़े दलित थे। देश भर में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है। कही पुलिस जानबूझकर तो एक दलित व्यक्ति के हत्या की जाँच में लापरवाही नहीं बरत रही अब हमारे मन में यह सवाल उठने लगा है। जिस जगह निमगड़े परिवार रहता है वहाँ से कुछ दुरी पर मुख्यमंत्री गणेश उत्सव पंडाल में आते है पर पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत तक नहीं उठाते। गौरतलब हो कि एकनाथ निमगड़े डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जन्मस्थली मऊ की स्मारक समिति से भी जुड़े हुए थे। उन्होंने वहाँ स्मारक का निर्माण कार्य भी कराया था। स्मारक के निर्माण के दौरान प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही पर जिलाधिकारी के खिलाफ अदालत में लड़ाई भी लड़ रहे थे।