Published On : Mon, Mar 18th, 2019

राजनीति में ‘दागियों ’ का बोलबाला

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गोंदिया: चुनाव का मौसम आते ही दल-बदल का दौर भी शुरू हो जाता है। जो पार्टी फार्म में होती है, उस दल में अपनी किस्मत चमकाने के लिए अपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोग, पार्टी प्रवेश के जुगाड़ में भिड़ जाते है।
आज के दौर में राजनीति का नैतिकता व जवाबदेही से कोई लेना-देना नहीं। राजनीति के अपराधिकरण को लेकर पहले भी गोंदिया जिले में कांग्रेस, राष्ट्रवादी और भाजपा पार्टियों में शामिल कई दबंग किस्म के व्यक्तियों के आचरण को लेकर बहस होती रही है। अपराधियों और राजनीतिक पार्टियों के बीच परस्पर लाभ और साझेदारी की सांठगांठ स्थापित होना यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत है, जबकि जनता असहाय और तमाशबीन बनकर एैसे ऩजारे देखने को मजबूर है।

भाजपा रूपी गंगा में आने से धूल जाते है पाप !
राजनीति को अपराधियों से मुक्ति दिलाने का वादा करते हुए 2014 में खुद को चाल, चरित्र, चेहरे की पार्टी का तमगा देकर केंद्र तथा महाराष्ट्र के सत्ता में आयी बीजेपी ने 3 दिन पूर्व एक दागी छबी वाले कांग्रेसी नेता को पार्टी प्रवेश करवा कर यह साबित कर दिया है कि, जीत हासिल करने के लिए कोई भी हथकंडे अपनाए जा सकते है? क्योंकि सत्ता केवल आंकड़ों का खेल बनकर रह गई है।

मजे की बात यह है कि, जिस कांग्रेसी नेता को राज्य के भाजपा कैबिनेट मंत्री महोदय की उपस्थिती और गोंदिया-भंडारा जिले के संभावित उम्मीदवार की उपस्थिती में भाजपा पार्टी प्रवेश कराया गया, उसपर दर्जनों अपराधिक मामले दर्ज है और 2018 के गणेश उत्सव के विसर्जन जुलूस निकलने से पूर्व क्षेत्र की शांति व्यवस्था के लिए उसे खतरा बताकर उपविभागीय अधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा पर इलाके से तड़ीपार घोषित किया गया।
इस व्यक्ति के विषय में बताया जाता है कि, इसने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूवात वर्ष 90 के दशक में शिवसेना पार्टी के साथ जुड़कर की। जिलाध्यक्ष जैसे पद को सुशोभित करते हुए 1995 से 1999 के युति शासनकाल में सरकार की मेहरबानी से आश्रमशाला और स्कूल भी मिल गए।
कद बढ़ने पर अभिमान बढ़ा, तब उसने एक बड़े भाजपा नेता के चुनाव दौरान बगावत की और गठबंधन धर्म के खिलाफ जाकर नेता के 2 प्रभावी कार्यकर्ताओं को पीट दिया। बौखलाए तब के कैबिनेट मंत्री ने घर पर पुलिस भेजकर हाथ-पांव ढिले कर दिए।

चुनाव परिणाम पश्‍चात पक्ष और युति के खिलाफ काम करने पर निलंबन का डर सताया तो मुंबई में बड़े पार्टी नेता के खिलाफ उसने प्रेस कांफ्रेस तक ले ली जिसके बाद उस वक्त के शिवसेना जिलाध्यक्ष ने उसे पार्टी से बर्खास्त करने का ऐलान कर दिया।

शिवसेना से निकाले जाने के बाद इस नेता ने कांग्रेस मेंं प्रवेश किया। पहले जिला महासचिव बनाए गए और बाद में उसे तहसील की जिम्मेदारी दी गई।
अब कांग्रेस से भी इसका मोहभंग हो चला था तथा अपने उपर चल रहे दर्जनों केस के निपटारे का जुगाड़ जमाया। तड़ीपार कार्रवाई के वक्त इसके समर्थकों ने मंत्री के घर पर मोर्चा निकाला था और मंत्री महोदय ने तब मुख्यमंत्री से बात की थी।

अब जो छन-छन कर खबरें बाहर आ रही है, उसके मुताबिक भाजपा रूपी गंगा में आने के बाद इस व्यक्ति के ऊपर चल रहे सारे केसेस के पाप धूल जाएंगे? संभवत एैसा उसे ठोस आश्‍वासन दिया गया है और लोकसभा चुनाव में पुरी ताकत के साथ भाजपा प्रत्याक्षी को जिताने की जिम्मेदारी भी इसके कंधों पर सौंपी गई है।

खुद को एक साफ सुथरी पार्टी बताने वाली भाजपा का यह चेहरा जब तस्वीरों और खबरों के रूप में जनता के बीच सामने आया है तो अब जनमानस भी इस बेतुके पार्टी प्रवेश को लेकर अचंभित है।


रवि आर्य