Published On : Wed, Apr 29th, 2015

अकोला : जिला परिषद की 39 शालाएं बंद होने की कगार पर


अकोला।
शालाओं की छात्र संख्या है 10 से कम लगातार निजी शालाओं की बढती संख्या तथा सरकारी शालाओं में बढी असुविधाओं के कारण जिला परिषद की शालाओं में लगातार छात्र संख्या घटती जा रही है. फलस्वरूप  अकोला जिले की 39 जिला परिषद शालाएं बंद पडने की कगार पर पहुंच गई है, क्योंकि इन शालाओं छात्र संख्या 10 से भी नीचे है. इसके अलावा 8 निजी शालाओं की छात्र संख्या भी 10 से नीचे है. जबकी देखा  जाए तो 20 से कम छात्र संख्यावाली शालाएं बंद करने के निर्णय पर राज्य सरकार सोच रही है. इस पर गोर किया जाए तो जिले में जिला परिषद व निजी शालाओं समेत कक्षा 1 से 8 वीं तक की 172 शालाओं की छात्र संख्या 20 से कम है, बंद पडने की कगार है.

कक्षा 1 से 8 वीं तक छात्रों के लिए शासन ने नि:शुल्क व सख्ती से शिक्षा देने के लिए कानून बनाया है. वहीं शालाओं में छात्रों की संख्या बढाने को लेकर प्रयास किए जा रहे है, किंतु सरकारी शालाअ‍ों में अपर्याप्त सुविधाएं, शिक्षा का गिरता स्तर तथा समय का दामन थामे न जाने से छात्रों की संख्या लगातार घट रही है. प्रति वर्ष छात्र संख्या जांचने का कार्य शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है. इस वर्ष यह प्रक्रिया आनलाईन ली गई. इसमें जिला परिषद, निजी, अनुदानित, बिना अनुदानित, कायम बिना अनुदानित तथा स्वयं वित्त पोषित समेत 172 शालाओं की पटसंख्या 20 से कम पाई गई है.

इस संदर्भ में सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से प्राप्त जानकारी अनुसार इनमें से 47 शालाओं की स्थिति और दयनीय है, जिनकी छात्र संख्या 10 से भी कम है. इन शालाओं में 39 शालाएं जिला परिषद की होकर 7 बिना अनुदानित तथा 1 अनुदानित शाला का समावेश है. बता दें कि कक्षा 1 से 7 वी तक की नई प्राथमिक शाला के लिए 30 छात्र संख्या अनिवार्य है. वहीं कक्षा 6 से 8 के लिए 35 छात्र संख्या निश्चित की गई है. गौर करने की बात है कि अभिभावकों का रूख अंग्रेजी शालाओं की ओर अधिक है, भले ही उक्त शालाएं डोनेशन के नाम पर मोटी रकम ले. यहां भी निजी शालाओं में भारी स्पर्धा लगी हुई है. ऐसे में अंग्रेजी शिक्षा का अभाव तथा सुविधाओं की कमी की वजह से सरकारी शालाओं पर संकट मंडराने लगा है.

Advertisement

उल्लेखनीय है कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले नागरिक भी अपने बच्चों को बडी से बडी शाला में पढाना चाहते हैं. इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों की सरकारी शालाओं को पीठ दिखाकर शहरी क्षेत्रों की निजी शालाओं में अपने पाल्य को पढानेवाले अभिभावकों की तादाद लगातार बढती जा रही है, जिससे जिला परिषद की शालाओं में छात्र संख्या घटकर शिक्षक अतिरिक्त हो रहे है. शिक्षकों के अतिरिक्त होने की समस्या भी शिक्षा विभाग के सामाने एक चुनौती बनती जा रही हैं.

अकोला के शिक्षणाधिकारी जिला परिषद, प्रफुल कचवे से इस संदर्भ में पूछताछ करने पर उन्होंने कहा कि जिन शालाओं की पटसंख्या 20 से कम है उन्हें बंद करने पर राज्य सरकार विचाराधीन है, लेकिन शाला बंद करने पर उसमें जो छात्र अध्ययनरत है उन्हें परेशानी हो सकती है. इसलिए एकदम शाला बंद करना संभव नही है. शिक्षा प्रत्येक छात्र का अधिकार है. इसलिए उक्त शाला के आसपास अन्य कोई शाला होने पर ही छात्र संख्या कम होनेवाली शाला बंद की जा सकती है.

File Pic

File Pic

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

Advertisement
Advertisement

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement