नागपुर: विधानसभा शीतसत्र के दूसरे सप्ताह में आरक्षण की मांग को लेकर अनेकों मोर्चे और प्रदर्शन नागपुर में देखने को मिले. इसी कड़ी में शुक्रवार को गणेश टेकड़ी रोड पर धोबी समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर सड़क पर उतरा. महाराष्ट्र राज्य परिट धोबी सेवा मंडल के बैनर तले हजारों की तादाद में धोबी समाज के लोग एकजुट हुए. इनका कहना है कि धोबी समाज के लोगो का हजारों सालों से शोषण हो रहा है. सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा के दृष्टिकोण से आज भी यह समाज काफी पीछे है.
देश के 17 राज्यों में धोबी समाज अनुसूचित जाति में शामिल है.महाराष्ट्र में भंडारा और बुलढाना जिले में 1960 से पहले धोबी समाज के लोग अनुसूचित जाति में थे. अनुसूचित जाति की सभी सहूलियतें इन्हें मिलती थीं. लेकिन 1960 में महाराष्ट्र राज्य बनने के बाद इन्हें अनुसूचित जाति से निकालकर अन्य पिछड़ा वर्ग अर्थात ओबीसी में डाला गया और तभी से इनका विकास रुक गया है.
इन्होंने मांग की है कि इन्हें अनुसूचित जाति में डाला जाए और आरक्षण दिया जाए. डॉ. डी.एम. भांडे समिति का प्रस्ताव राज्य की सिफारिश के साथ केंद्र सरकार को भेजा जाए और उसके साथ जोड़ा जाए. डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर संशोधन समिति का प्रस्ताव रद्द किया जाए, संत गाडगे बाबा को भारतरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाए, लांड्री का व्यवसाय करनेवाले धोबी समाज के लोगों को कम दर में बिजली दी जाए. इन मांगों समेत आठ मांगों को सरकार के सामने रखा गया. इस मोर्चे का नेतृत्व अखिल भारतीय धोबी महासमाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी. डी. सोनटक्के ने किया. इस दौरान अन्य नेता भी मंच पर मौजूद रहे.