Published On : Fri, Feb 2nd, 2018

शिक्षकों की कोशिशों के बावजूद भी अभिभावक नहीं भेजते बच्चों को स्कूल

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नागपुर: नागपुर महानगर पालिका की कई स्कूलों में तमाम सुविधाओं के बाद भी स्कूल में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने को तैयार नहीं है. स्कूल शिक्षकों के प्रयासों के बावजूद भी स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या चिंता का विषय है. गणेशपेठ स्थित नई शुक्रवारी हिन्दी उच्च प्राथमिक शाला काफी पुरानी स्कूल है. स्कूल का मैदान, स्कूल की इमारत कुछ दिन पहले वॉलीबॉल ग्राउंड भी बनाया गया है. लेकिन फिर भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं. स्कूल की बात करें तो यह स्कूल पहली क्लास से लेकर आठवीं क्लास तक है. स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 88 है. इन्हे पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक है. और स्कूल में एक चपरासी भी है. कुछ वर्ष पहले सेमी-इंग्लिश स्कूल भी इनकी ओर से शुरू की गई थी. लेकिन इसी स्कूल के पड़ोस में दूसरी इंग्लिश मीडियम होने की वजह से यहां की इंग्लिश स्कूल को बंद कराना पड़ा. देखने में आया है कि 15 वर्षों में जिस तरह से स्कूल शुरू करने के लिए मान्यताएं दी गई हैं. और जिस रफ़्तार से स्कूल शुरू हुई है. इस कारण कही न कही सरकार ने अपनी ही स्कूल को बंद करने के रास्ते खोज लिए है. यह कहना भी गलत नहीं होगा. इस स्कूल में क्लास के समय पहुंचने की वजह से स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या अच्छी खासी दिखाई दी.

स्कूल व्यवस्था और विद्यार्थियों के लिए सुविधा
स्कूल में विद्यार्थियों को शिक्षकों की ओर से बैग, नोटबुक्स भी दिए गए थे साथ ही इसके कुछ विद्यार्थियों के लिए ऑटो भी लगाए गए थे. मनपा की ज्यादातर स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए शिक्षकों द्वारा ऑटो और वैन लगाई गई है. स्कूल में विद्यार्थियों के खेलने के लिए वॉलीबॉल ग्राउंड भी बनाया गया है. विद्यार्थियों के लिए पीने के पानी और शौचालय की व्यवस्था ठीक है. स्कूल में दोपहर में विद्यार्थियों को मीड-डे मील भी दिया जाता है. स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढे इस उद्देश्य से स्कूल में स्पोर्ट्स का सामान भी लाकर रखा गया है. स्कूल में लाइब्रेरी भी है. यानी स्कूल में विद्यार्थियों को मुलभुत सुविधाये मिल रही है. बावजूद इसके अभिभावक अपने बच्चों के एडमिशन मनपा की स्कूलों में करने से कतराते हैं। मनपा प्रशासन ने जिस तरह से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए जो थोड़े बहुत प्रयास अभी शुरू किए हैं. वह अगर 10 वर्ष पहले शुरू करती तो इन स्कूलों की हालत कुछ ओर होती.


क्या कहते है स्कूल के प्रिंसिपल
स्कूल के प्रिंसिपल राजकुमार कनाठे ने जानकारी देते हुए बताया की 15 साल पहले इसी स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या करीब 800 थी. लेकिन समय के साथ आस-पास में स्कूलों की संख्या बढ़ने से मनपा की इस स्कूल की विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है. गरीब विद्यार्थी होने की वजह से उन्हें बुक्स भी खरीदकर दी जाती है. विद्यार्थियों के लिए ऑटो भी लगवाया गया है. विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए बच्चों के अभिभावकों के पास जाकर उन्हें समझाया जा रहा है. बावजूद इसके अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में एडमिशन करने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाते.

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—शमानंद तायडे

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