Published On : Thu, Aug 4th, 2022

भारी वर्षा के बावजूद कपास का भाव में तेजी

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– 29 जुलाई तक 42.212 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई जिसमें 39.153 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन और 2.061 लाख में नॉन बीटी कॉटन की फसल है।

नागपुर – कपास उत्पादक प्रमुख राज्य महाराष्ट्र में भारी बारिश और कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति के कारण चालू सीजन में कपास की फसल प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है लेकिन फसल बुवाई के आंकड़े बता रहे हैं कि कपास की फसल पिछले साल की अपेक्षा बेहतर है। कपास के प्रति किसानों के रुझान को देखते हुए माना जा रहा है कि इस साल कपास का बढ़ने वाला है।

हाल के दिनों में देश के कपास उत्पादक प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में बारिश के कोहराम को देखते हुए आशंका जताई जा रही थी कि इस बार कपास की फसल कमजोर पड़ जाएगी लेकिन कपास बुवाई के ताजा आंकड़े इस भ्रम को तोड़ रहे हैं। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों पर गौर किया जाए तो राज्य में अभी तक कपास का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 3 लाख हेक्टेयर अधिक है। महाराष्ट्र में 29 जुलाई तक 42.212 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई जिसमें 39.153 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन और 2.061 लाख में नॉन बीटी कॉटन की फसल है। जबकि पिछले साल इसी अवधि तक राज्य में कपास का कुल रकबा 38.123 लाख हेक्टेयर था जिसमें 36.217 बीटी और 1.906 लाख हेक्टेयर नॉन बीटी की फसल थी । महाराष्ट्र में जुलाई महीने में हुई भारी बारिश से कपास की करीब 8.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसल प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि इसकी वास्तविक रिपोर्ट आना बाकी है।

जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में हुई भारी बारिश के बावजूद कपास के रकबे में गिरावट नहीं होगी , क्योंकि किसानों के पास अभी भी कपास की दोबारा बुआई करने का मौका है। ओरिगो कमोडिटीज के राजीव यादव के मुताबि क महाराष्ट्र में खरीफ के तहत 157 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है और अगर इसके मुकाबले राज्य में कपास की कुल बुआई 42.81 लाख हेक्टेयर को लें तो भारी बारिश की वजह से करीब 2.3 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान हो सकता है। उनका कहना है कि कपास की फसल को हुआ नुकसान इस साल के लिए हमारे द्वारा लगाए गए बुआई के अनुमान 125-126 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की तुलना में नगण्य है। कपास उत्पादक दूसरे प्रमुख राज्य गुजरात में भी कपास की बुवाई पिछले साल की अपेक्षा बेहतर है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी फसल बुवाई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में अभी तक कपास का रकबा 24.495 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक यहां कपास का रकबा 21.772 लाख हेक्टेयर था । जुलाई में भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र और गुजरात में फसल को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

इसके बावजूद जानकारों का कहना है चालू खरीफ सीजन में देश में कपास का रकबा 4 से 6 फीसदी बढ़कर 125-126 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है। क्योंकि पिछले दो साल से किसानों को कपास में अच्छा पैसा मिला है और सोयाबीन की कीमतों में आई हालिया तेज गिरावट किसानों को कपास की बुआई करने के विकल्प का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित करने का काम करेगी । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक 29 जुलाई तक देशभर में कपास की बुआई 117.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जिसमें 109.55 लाख हेक्टेयर में बीटी कॉटन और 8.11 लाख हेक्टेयर में नॉन बीटी कॉटन की बुवाई की गई है। जबकि पिछले साल इस समय तक देश में कपास का रकबा 111.2 लाख हेक्टेयर था यानी इस साल पिछले साल की तुलना में कपास का रकबा 5 फीसदी अधिक है।

महाराष्ट्र कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि फसल नुकसान का आंकलन किया जा रहा है लेकिन किसानों के रुझान को देखते हुए कहा जा सकता है कि कपास का क्षेत्रफल अभी भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहेगा । जुलाई में कम या भारी बारिश की वजह से अगर फसल खराब भी हो जाती है तो भी किसान अभी दोबारा बुआई कर सकते हैं। मौसम विभाग के मुताबिक कपास उत्पादक क्षेत्रों में अगले 5 दिनों में छिटपुट से लेकर कम बारिश होने का अनुमान है, जो कि फसल की प्रगति के लिए अच्छा रहेगा । इसलिए फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है।

फसल नुकसान की खबरों की वजह से पिछले सप्ताह कपास के भाव बढ़े थे। भाव बढ़ने की प्रमुख वजह बारिश के कारण आवक कमजोर पड़ना था । हाजिर बाजार में कपास के दाम 40,000 रुपये प्रति गांठ ( एक गांठ में 170 किलो ग्राम) से 43,800 रुपये प्रति गांठ तक पहुंच गये थे। बाजार जानकारों का कहना है कि कपास के दाम में यह बढ़ोत्तरी थोड़े दिनों के लिए है। कपास के भाव में जल्द गिरावट देखने को मिलेगी ।