Published On : Wed, Jun 20th, 2018

Video: देना बैंक से फ्रॉड का मामला पहुँच सकता है तीन सौ करोड़ के आसपास

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नागपुर: देना बैंक में बैंक लोन को लेकर सामने आया फ्रॉड आने वाले दिनों में तीन सौ करोड़ तक पहुँच सकता है। बैंक की तरफ़ से आने वाले दिनों में पुलिस को और शिकायतें की जा सकती है ये शिकायतें भी कई करोड़ रूपए के लोन से जुडी हुई होंगी। देना बैंक के सूत्रों के मुताबिक हर वर्ष होने वाले ऑडिट में लोन पर लगातार ब्याज़ न देने वाले ग्राहकों की जाँच पड़ताल की जा रही है। इस जाँच में अगर कोई फ्रॉड कर जानबूझकर बैंक से लिया लोन या ब्याज़ नहीं चुका रहा है उसके ख़िलाफ़ शिकायत की तैयारी की जा रही है।

बैंक के मुख्यालय से इस बाबत दिशानिर्देश नागपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय और विभिन्न ब्रांचों को सर्कुलेट किया जा चुका है। इसी आधार पर कार्रवाई की जा रही है। विभिन्न तरह के लोन का ग्राहकों द्वारा उचित समय पर भुगतान न हो पाने की वजह से बैंकों के एनपीए ( नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स ) का मुद्दा इन दिनों छाया हुआ है। ख़ास तौर से नीरव मोदी के घोटाले के बाद बैंक अपनी बकाया रिकवरी को लेकर और अधिक सख़्त रुख अपना रही है। वैसे केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों से अपने एनपीए को कम करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जा चुका है।

बैंक से जुड़े सूत्रों की माने तो लोन देने के समय बैंक द्वारा ग्राहक से लोन की लगभग कीमत की प्रॉपर्टी मॉर्गेज कर ली जाती है। जिसको बेच कर बैंक अपनी वसूली कर सकती है लेकिन इन दिनों भारी मंदी के दौर से गुजर रहे प्रॉपर्टी को बेचने में खासी दिक्कत आती है। जबकि बैंक की अपनी रक़म लंबे समय तक फंसी रह जाती है जिससे बैंक का एनपीए लगातार बढ़ता जाता है।

देना बैंक हर ब्रांच में एनपीए को लेकर कर रही जाँच

शहर में बैंक की सिविल लाइन्स और धरमपेठ ब्रांच में दो केस में ही लगभग 90 करोड़ के नुकसान की जानकारी सामने आयी है। एनपीए को लेकर तत्परता दिखाते हुए बैंक में हर ब्रांच में लंबे समय से ब्याज का भुगतान न करने वाले ग्राहकों के मामलों की जाँच और पूछताछ की जा रही है। शहर में स्थित बैंक की एक ब्रांच के मैनेजर ने नागपुर टुडे को बताया की ऐसे हर मामले की जाँच हो रही है जिसमे ब्याज का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। जाँच में कुछ ग्राहकों द्वारा जायज कारण से भुगतान में देरी होने की बात सामने आयी है। लेकिन जिन मामलों में शक या बैंक से धोखधड़ी होने का संकेत मिल रहा है। उसकी रिपोर्ट मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय भेजी जा रही है। ऐसे मामलों में बैंक उचित कार्रवाई करने की तैयारी में है।

आने वाले वक्त में और मामले आयेगे सामने – पुलिस जाँच अधिकारी
मामले की जाँच कर रहे आईपीएस ऑफिसर संभाजी कदम के मुताबिक पुलिस के पास फ़िलहाल दो मामले आये है जिन पर जाँच जारी है लेकिन इस मामले को लेकर पुलिस तह तक जाने का प्रयास करेगी। बैंक अधिकारियों ने लोन फ्रॉड को लेकर आशंका पुलिस के सामने बयां की है जाँच में कुछ और मामले सामने आयेगे। पुलिस ने बैंक को सहयोग के लिए आश्वस्त किया है। कदम के मुताबिक पुलिस जिन दो मामले में जाँच कर रही है वो लगभग पाँच करोड़ रूपए के है।

फ़रार आरोपी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल
बैंक की धरमपेठ ब्रांच से 2 करोड़ रूपए की हेरफ़ेर के आरोपी सुनील चट्टे मामला दर्ज होने के बाद से फ़रार हो गया था। जिसके बाद बुधवार को जबलपुर में एक दुर्घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल में उसका ईलाज चल रहा है जबकि उसके ड्राईवर की मृत्यु हो गई।
आरोपियों का पीसीआर दो दिन बढ़ा
इस मामले में गिरफ़्तार आरोपियों से पूछताछ के लिए पुलिस को दो दिन का और पीसीआर प्राप्त हुआ है। जबकि फ़रार आरोपियों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।

बैंक के अधिकारी भी शक के घेरे में
नागपुर में देना बैंक में हुए फ्रॉड का मामला हाल के दिनों में सामने आये मामलों की ही तरह है। इन मामलों में भी गलत जानकारी और दस्तावेजों के सहारे लोन लेकर बैंक को गुमराह करने की बात सामने आयी है। बैंक सघन जाँच पड़ताल के बाद किसी भी तरह का लोन ग्राहकों को देती है। बावजूद इसके बैंक कर्मियों और लोन लेने वाले ग्राहक के आपसी तालमेल में गलत काम को भी सही अंदाज में पेश किया जाता है। नीरव मोदी या हालही में सामने आये पूना की कंपनी डीएसके द्वारा किये गए फ्रॉड में महाराष्ट्र बैंक के चार अधिकारियो को गिरफ़्तार किया गया है। ऐसे में मिलीभगत की आशंका को देखते हुए पुलिस शक के दायरे में आने वाले बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकती है।

क्या है मामला
देना बैंक द्वारा पुलिस में दो मामलों में फ्रॉड की शिकायत की गई है। पहले मामले में सूत्रधार सतीश बाबाराव वाघ और अन्य 10 लोगों पर अपने प्लॉट की अधिक क़ीमत बताकर और जाली दस्तावेज़ के सहारे दो करोड़ चार लाख का लोन लिया। जबकि इसकी क़ीमत महज 27 लाख 90 हज़ार रूपए थी। बैंक द्वारा पुलिस में की गई शिकायत में आरोपी पर बैंक को 3 करोड़ 46 लाख 55 हजार 387 रूपए का आर्थिक नुकसान पहुँचाने का दावा किया गया है। जबकि दूसरा मामला जो धरमपेठ शाखा से जुड़ा हुआ है माँ अनुसूया ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन को फर्नीचर के व्यापार के लिए दो करोड़ रूपए की कैश क्रेडिट मंजूर की गई थी। इसके लिए जो संपत्ति गिरवी रखी गई थी उसके लिए एनआइटी की एनओसी नहीं थी। कंपनी के संचालक दिलीप मोरेश्वर कलेले ने पूरी रकम अरेना इंड्रस्टी के पार्टनर समीर भास्कर चट्टे और आदिनाथ इंड्रस्टीज के मेहुल धुवालिया के साथ माँ तुलजा भवानी ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के खातों में ट्रांसफ़र कर दी। दिलीप और समीर रिश्तेदार है। कैश क्रेडिट हासिल करने के लिए एम एस कोठावाला एंड एकाउंटेंट्स ने अधिक रकम की बैलेंस शीट बनाई थी।

By Narendra Puri and Divyesh Dwivedi