Published On : Thu, Jul 1st, 2021

ऊर्जा मंत्रालय के ‘दलाल’ की करतूतों से कांग्रेस में ‘दरार’

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– खापरखेडा बिजलीघर का टेंडर अटका

नागपुर: महानिर्मिती के खापरखेडा थर्मल पावर प्लांट में टेंडर हड़पने की घटना को लेकर कांग्रेस पार्टी में फूट के आसार नजर आ रहा हैं वहीं भाजपायी ठेकेदारों मे खुशियाँ झलकती नजर आ रही है ?

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बताते है कि ऊर्जा मंत्रालय के कथित दलाल हरदवानी की अड़ियल रवैय्ये के कारण स्थानीय कोंग्रेसी जनरतिनिधि का वर्चस्व खत्म होने को लेकर कांग्रेसजनों में फूट के आसार नजर आ रहे है। वही शिवसेना खेमे में भी नाराजगी दिखाई दे रही है।

समझा जाता है कि स्थानीय कांग्रेस-शिवसेना खेमे के कार्यकर्ता चाहते हैं कि यह ठेका स्थानीय बेरोजगार ठेका फर्मों तथा स्थानीय श्रमिकों को उसका लाभ मिलना चाहिए ? परंतु ऊर्जा मंत्रालय के कथित दलाल हरदवानी की हठधर्मी यहां कांग्रेस पार्टी को ले डूबेगी ?

बताते हैं कि हरदवानी को कांग्रेस पार्टी से क़ोई लेना देना नहीं है।उसको तो अपने आका के निर्देशों पर चलकर कमीशन रुपी मलाई बटोरना है ? मंत्री के नाम का धौंस दिखाकर अधिकारी-ठेकेदारों पर कहर ढाह रहे हैं.

नागपुर जिला कांग्रेस पार्टी के सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्रालय की तीनो बिजली कंपनियों से दलाल हरदवानी ने अब तक न सोचने वाली राशि बसूली कर चुका है ? परंतु कांग्रेस पार्टी मुख्यालय के खाते में 20% भी राशि नहीं पंहुच पाई है।इसके पहले भी वे 2 दफे इसी मंत्री का काम देख रहे थे,उनके जन्मदिन पर करोड़ों में तोहफे के रूप में नगदी वसूलने की महारत हासिल हैं.जिसमें से उन्हें 2 से 2.5% नगदी हरद्वानी को बतौर कमीशन मिल जाया करती थी.यह मामला फ़िलहाल कांग्रेस पार्टी के लिए यह सर दर्द चुनौती का विषय बना हुआ है।

दूसरी तरफ प्रतिपक्ष इनके कारनामों को लेकर नजर गड़ाए हुए बैठे हैं। ऐन चुनाव के वक़्त इसका भंडाफोड़ की योजना बनाई जा रही हैं.

उल्लेखनीय यह हैं कि निविदा कमेटी के अनुसार जो ठेका फर्म TECHNICAL AND PRICE BID में उत्तीर्ण होगी,उसी की झोली में टेंडर ठेका जाने वाला है ? यहां के स्थानीय लोग चाहते हैं कि यह अजीबोग़रीब टेंडर खापरखेडा तथा कोराडी थर्मल पावर प्लांट के स्थानीय ठेकेदारों की झोली में जाना चाहिए। इसके लिए इलेक्ट्रिक बिल,राशन कार्ड आधार कार्ड पेन कार्ड और बोटिंग कार्ड की जांच-पड़ताल निहायत ही जरुरी है।

राज्य सरकार की ऊर्जा उद्योग व कामगार विभाग के निर्देशों के मुताबिक स्थानीय 80% लोगों को तथा यांत्रिकी तकनीक अधार पर 20 % बाहरी लोगों को रोजगार व्यवसाय से जोड़ा जाना चाहिए।स्थानीय स्तर पर यानि पावर प्लांट से 15 कि.मी. के अंतर्गत का निवासी ठेका फर्म तथा श्रमिक होना चाहिए। बताते हैं कि टेंडर धारकों मे स्थानीय 3 ठेकेदारों ने टेंडर ही न ओपन करने के लिए निवेदन बतौर आपत्ति दर्ज की है। नतीजतन इस पावर प्लांट के मुख्य प्रशासक सहित SECTION INCHARGE व निविदा कमेटी सकते में आ गए.

व्याप्त चर्चाओं के मुताबिक यह ठेका यदि स्थानीय ठेका फर्मों की झोली में नही गया तो कांग्रेस पार्टी में नेताओं के मध्य अंतर्गत कलह उत्पन्न हो सकती हैं ? जिले के मंत्री एक ही पक्ष के होने के बावजूद दोनों के मध्य शीर्ष स्तर पर दरार हिचकोले खा रही हैं जो पक्ष को कमजोर और विपक्ष को मजबूती प्रदान कर रहा हैं.

समाचार लिखे जाने तक सभी टेंडर धारकों मे आपसी बातचीत के जरिए रिंग बनाकर स्थानीय फर्म को यह ठेका मिलने की उम्मीद है ?जबकि दूसरा उपाय यह तैयार किया जा रहा कि इसी के समान ठेका चंद्रपुर पावर प्लांट के टेंडर प्रमुख विरोधी ठेकेदार कंपनी को दिलवाने के लिए मंथन जारी हैं। जबकि तीसरे प्रतिस्पर्धी फर्म को कोराडी प्लांट में मनचाहा ठेका देने का विचार हो रहा है। लेकिन इन विचारमय हालातों पर सकारात्मक हल नहीं निकल पाया।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार आज दोपहर बाद निविदा कमेटी की गुप्त बैठक में तय होने के आसार है। इस सबंध में पांचो स्पर्धी टेंडर माफिया ठेकेदारों में तालमेल नही दिखाई दे रहा है।परंतु यह भी तय है कि जिसकी झोली में टेंडर जाएगा बंधा हुआ कमीशन माफिया दलाल हरदवानी की जेब में जाना तय है। उधर इस महाभ्रष्टाचार पर आवश्यक कार्यवाही के लिए महानिर्मिती का सतर्कता व दक्षता विभाग पैनी नजर गडाये हुए है.

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