– डॉ. कृष्णा कांबले ने अथक प्रयास किया,जिस पर सफेदपोशों द्वारा पानी फेरा जा रहा
नागपुर– गरीबों के मुफ्त इलाज की घोषणा के मामले में सभी जनप्रतिनिधि बड़ी बड़ी घोषणा आयेदिन करते रहते हैं लेकिन चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि राज्य की सत्ताधारी पक्ष नागपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर के इलाज के लिए बड़ी अत्याधुनिक व्यवस्था के लिए आनाकानी कर रही हैं.
याद रहे कि मेडिकल परिसर में कैंसर के इलाज के लिए अलग व्यवस्था/संस्थान के निर्माण के लिए 76.10 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई। इस खर्च से यहां के कैंसर संस्थान का निर्माण फरवरी 2022 में शुरू होना था। निर्माण की जिम्मेदारी नागपुर महानगर विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) को दी गई थी। निविदा जनवरी 2022 में प्रकाशित की गई थी।
ठेकेदार भी तय कर लिया गया था। टेंडर प्रकाशित होने के 120 दिन के भीतर सरकार को फंड उपलब्ध कराना था। लेकिन, निधि उपलब्ध नहीं कराया गया। अब टेंडर की तय मुद्दत भी खत्म हो गई है। इसलिए,संस्थान के निर्माण के लिए नई निविदा प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही निर्माण शुरू हो सकता है।
राज्य के सत्ताधारी पक्ष को नागपुर मेडिकल अस्पताल परिसर में कैंसर संस्थान स्थापित करने की इच्छा हैं,तोउन्हें ‘हाई पावर कमेटी’ से अनुमति लेनी होगी। इसकी संभावना बहुत ही कम नजर आती है ?
उल्लेखनीय यह है कि वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने डॉ. कृष्णा कांबले ने कैंसर के खिलाफ संघर्ष को तरजीह देते हुए नागपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर संस्थान शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.उसके बाद राज्य में भाजपा की सत्ता में आई. बाद कैंसर संस्थान को औरंगाबाद ले जाने का आंदोलन प्रयास किया गया,जिसके खिलाफ डॉ. कृष्ण कांबले ने अदालत में गुहार लगाई।
न्यायालय ने 2017 में दो साल के भीतर संस्थान स्थापित करने का निर्देश दिया था। उसके बाद राज्य सरकार ने संस्थान के निर्माण के बदले उपकरणों की खरीद के लिए 23 करोड़ रुपये की राशि दी गई. चूंकि कोई भवन नहीं था, इसलिए सारा धन हाफकिन के पास पड़ा हुआ हैं। 2019 में सरकार बदलते ही संस्थान के निर्माणकार्य योजना को मंजूरी दी गई। 2020 में कोरोना संकट ने दो साल के लिए काम में देरी की है। राज्य सरकार द्वारा दी गई निधि फ़िलहाल विभागीय आयुक्तालय के खाते में जमा हैं.