Published On : Fri, Aug 18th, 2017

सत्ता के इशारे पर जानबूझकर तोड़ी गयी गाँधी की समाधी,उनके मूल्यों को समाप्त करने का षड़यण्त्र देश में अघोषित आपातकाल,लोकतंत्र नहीं टोली तंत्र का राज- प्रा सुरेश द्वादशीवार

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नागपुर: मध्यप्रदेश में महात्मा गाँधी की समाधी तोड़े जाने के निषेधार्थ कस्तूरबा भवन में निषेध सभा का आयोजन किया गया। प्रगतिशील विचारो के लोगो की संस्था दक्षिणायन द्वारा आयोजित सभा में इस घटना के विरोध में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सीधा हमला बोला गया। सभा में अपने विचार रखने वाले वक्ताओं ने इस घटना को सोची समझी रणनीति करार दिया। सभा के अध्यक्ष और लोकमत के संपादक प्रा सुरेश द्वादशीवार ने घटना को लोकतंत्र की हत्या और आरएसएस द्वारा गाँधी के विचारो की हत्या करने के षड़यत्र के तहत यह सब होने की बात कही। द्वादशीवार के मुताबिक जिस गाँधी के विचारों को दुनिया ने अपनाया उसे उन्ही की जमीन के ख़त्म करने का प्रयास किया जा रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने क़ानून की मर्यादा में रह कर आपतकाल लगाया लेकिन बीते तीन वर्षो में अघोषित रूप ने टोली वालो का आपतकाल देश में लगा है। ये टोली वाले कभी गौमांस के लिए कभी धार्मिक विचारों के नाम पर मारपीट कर रहे है। गोहत्या के नाम पर अब तक 54 हत्याएं हो चुकी है हर बात पर प्रतिक्रिया देने वाले प्रधानमंत्री इस पर चुप है। ऐसे घटनाक्रम स्वतंत्रता आंदोलन के मूल को ख़त्म करने का प्रयास है। जनता,समाज पर धर्म थोपा जा रहा देश की 80 फीसदी जनसँख्या हिन्दू है इसमें सभी विचारो के लोग है विचार प्रभावी होता है जबकि वादी थमा हुआ रहता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर ब्रिटिशो के पहले की व्यवस्था को लागू किये जाने का प्रयास हो रहा है। वर्त्तमान समय में लोकतंत्र पर खतरा निर्माण हो गया है।

गाँधी का विचार देश को जोड़ने का काम करता है सिर्फ निषेध करने से काम नहीं चलेगा विचारो की परंपरा को जीवित रखना होगा। प्रगतिशील विचारों की आवाज को दबाने का काम शुरू है पानसरे,दाभोलकर,कलबुर्गी की हत्या के आरोपी अब भी गिरफ्त से बहार है यह शायद कभी हाँथ आये क्युकी आरोपी सत्ता के साथ है। गाँधी, नेहरू को हथियाने का काम हो रहा है। बीजेपी वाले कहते है की नेहरू की वजह से पटेल पर अन्याय हुआ जबकि इतिहास बताता है की बीमारी की वजह से पटेल ने खुद नेहरू को देश चलने की जिम्मेदारी 1936 में ही दे दी थी। नेहरू ने सेक्युलरिजम को अपनाया जबकि पटेल ने देश को एकत्रित रखने के लिए धर्मनिरपेक्षता को। द्वादशीवार ने देश के वर्तमान हालत पर कांग्रेस को भी जमकर कोसा उनके मुताबिक कांग्रेस दिशाहीन है इसलिए सरकार अपनी मर्जी से चल रही है। वर्तमान में प्रधानमंत्री की उनकी पार्टी पर प्रधानमंत्री पर संघ की और संघ जनता पर अपनी पकड़ रखना चाहता है।

वही कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए प्राध्यापक श्रीनिवास खान्देवाले ने कहाँ पुल,बुलेट ट्रेन,इंफ्रास्टक्चर राजव्यवस्था के विकास का आधार नहीं हो सकता। जो घटनाये हो रही है उससे सरकार के परफॉर्मेंस पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। प्रधानमंत्री बनते ही जिस गाँधी की प्रतिमा को नमन किया वही उनकी अवहेलना कर रहे है। गाँधी खुद को कर्मठ धार्मिक कहते थे आज कल धर्म के नाम पर मारपीट हो रही है। देश में दहशत का वातावरण है गोहत्या के नाम पर मारपीट हो रही है लेकिन किसान गाय को क्यूँ बेच रहा है इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। देश के बहार प्रधानमंत्री गाँधी का नाम लेते है लेकिन देश में हुई इतनी बड़ी घटना पर वो खामोश है जिससे उनकी सोच पता चलती है। अपने विचार रखते हुए प्रा हरिभाऊ केदार ने कहाँ की सत्ता के सहयोग से लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास हो रहा है और उसी के सहयोग से गाँधी समाधी तोड़ी गयी ।

इसी से सत्ता का उद्देश्य और उसका चित्रित समझ में आ रहा है। देश में अघोषित आपातकाल जैसा माहौल है मैंने रावण की 10 सिरों वाली कहानिया सुनी है जिस पर मुझे विश्वाश नहीं था, इस समय हमें रावण देखने को मिल रहा है। प्रगतिशील विकारों की आवाज को दबाने का काम शुरू है पानसरे,दाभोलकर,कलबुर्गी की हत्या के आरोपी अब भी गिरफ्त से बहार है यह शायद कभी हाँथ आये क्युकी आरोपी सत्ता के साथ है।