– ईस्ट पेंच टाइगर रिजर्व द्वारा ‘ पत्रकार दौरा ‘ का आयोजन, जंगल सहित वन्य जीवों की सुरक्षा व संवर्धन की दी जानकारी
रामटेक -:वनों और जंगली जानवरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है और जंगलों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हालांकि जंगली जानवरों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है, लेकिन सवाल यह है कि वन विभाग प्रशासन आखिरकार करोड़ों रुपये का निधी में ऐसे कोण कोणसे विकासकार्य वनपरीक्षेत्र मे कर रहा है, यह सवाल आम आदमी और विशिष्ट पत्रकारों के सामने हमेश खडा रहता था । इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग प्रशासन ने हाल ही में 6 अक्टूबर को पत्रकारों के दौरे का कार्यक्रम आयोजित किया था.इस बीच पत्रकारों को जंगल सफारी के माध्यम से जंगल में ले जाया गया. पूर्वी पेंच के वन रेंज अधिकारी श्री मंगेश ताटे ने रामटेक तालुका के स्थानीय पत्रकारों को जंगली जानवरों के लिए की जाने वाली सुविधाए और जंगल और जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए लागू किए गए उपायों के बारे में जानकारी दी।
6 अक्टूबर को सुबह आठ बजे के बीच, तालुका के पत्रकारों को पूर्वी पेंच टाइगर रिजर्व के अमलतास में इकट्ठा होने के लिए आमंत्रित किया गया था। आर.एफ.ओ. ताटे ने यहा स्थित एक सभागृह मे चलचित्र के माध्यम से जंगल की विशालता, नदी और जंगल में जंगली जानवरों की जिवनशैली के बारे में जानकारी दी तथा जंगल में जंगली जानवरों के आश्रय और उनके भोजन के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके बाद अमलतास के एक अन्य सभागृह में, बाघ और उसके शावकों के संघर्ष का जीवन, शावकों के लिए बाघिनों का संरक्षण और प्रशिक्षण, बड़े होने पर बाघ शावकों के संघर्ष का जीवन, इस विषयपर भी आर.एफ.ओ. ने जानकारी दी। उसके बाद पत्रकार मंडली आरएफओ मंगेश ताटे के साथ वनविभाग के वाहनों में ईस्ट पेंच टाइगर रिजर्व के लिए रवाना हुए। जंगल सफारी दौरान मोर, हिरण, बफेलो समेत विभिन्न पशु-पक्षियों को देखा गया और इस मौके पर इन जानवरों के रहन-सहन की जानकारी दी गई. इस मौके पर पूर्वी पेंच के वन रेंज अधिकारी मंगेश ताटे, वन रक्षक गणपत मुंडे, पत्रकार पंकज बावनकर, जगदीश सांगोड़े, राजू कापसे, पंकज मसूरकर, मुकेश तिवारी, अनिल वाघमारे, पंकज चौधरी, हर्षपाल मेश्राम, राहुल पेठकर, नत्थू घरझाडे, राहुल पिपरोदे, त्रिलोक मेहर, मोइन पठान, महेंद्र दिवटे, उमेश फूलबेल, राजू आग्रे, पुरुषोत्तम डडमल, शुभम कामळे, देवराव धुर्वे, रितेश बीरनवार, रज्जू हरने आदी. पत्रकार उपस्थित थे।
‘चरागाह’ की खेती ने आकर्षित किया ध्यान
पूर्वी पेंच के जंगल में एक निश्चित खुले स्थान पर शाकाहारी जानवरों के लिए 1.8 हेक्टर चराई भूमि में 9,000 पौधे लगाए गए हैं। वर्तमान में इसकी ऊंचाई 2 से 2.5 फीट है और यह बड़ी हो जाएगी और भविष्य मे इन पौधोके बिज यही गिर जाएंगे और चारागाह की उत्पादकता में वृद्धि होगी और फिर यह क्षेत्र शाकाहारी प्राणीयो के लिए खुला कर दिया जाएगा। इसी तरह तोतलाडोह गांव यहां पहले हुआ करता था। इस समय आरएफओ ने कहा कि यहां आबादी थी, उस गाव का दुसरी ओर पुनर्वसन करा दिया गया और घरों का मलबा जंगल के एक निश्चित हिस्से में डाल दिया गया और भविष्य मे वहां चारागाह लगाए जाएंगे.
अटल घन वन वृक्षारोपण
चरागाह से सटी ‘अटल घन वन वृक्षारोपण’ योजना के तहत 0.32 हेक्टर भूमि पर 9546 पौधे लगाए गए हैं। खास बात यह है कि इसमें पेड़ों की 32 प्रजातियां शामिल हैं और यह अब दो से तीन साल पुरानी हो चुकी है। इसमें अधिकांश पेड़ फलों के पेड़ होणे के कारणवश भवीष्य मे जंगल के पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को अपना भोजन यहीं मिलेगा।
रैपिड रेस्क्यू टीम का गठन
पूर्व पेंच टाइगर रिजर्व में एक विशेष रैपिड रेस्क्यू टीम का गठन किया गया है। जब बाघ और तेंदुए जैसे जंगली जानवर लोगो की बस्ती में प्रवेश करते हैं और स्थिति मनुष्यों के लिए खतरनाक हो जाती है, तो यह बचाव दल अपने सभी संसाधनों के साथ संबंधित स्थानों पर जाता है और बचाव कार्य करता है। टीम बॉडीगार्ड जैकेट, स्ट्रेचर, नेट, स्टन गन, पिंजरे आदि से लैस है। सभी सामग्री प्रदान की जाती है।