Published On : Mon, Aug 9th, 2021

कांग्रेस : वंजारी शहर तो गुड़धे ग्रामीण अध्यक्ष ?

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– शहर- ग्रामीण का एक संयुक्त गुट इस मामले में प्रदेशाध्यक्ष को बरगला रहा ताकि पालकमंत्री का प्रभाव क्षेत्र में सेंध लगाया जा सके

नागपुर : नागपुर जिले की राजनीति हमेशा से ही भिन्न रही,जिसके कारण दिल्ली तक चर्चित रही,फिर कोई भी पक्ष क्यों न हो.इस बार कांग्रेस के भीतर शहर-ग्रामीण की राजनीति करने वाले अपने मनमाफिक गोटी सेट कर जिले के वर्त्तमान पालकमंत्री की नाक में नकेल कसने की जीतोड़ कोशिश कर रहे है.इस क्रम में यह गुट शहर कांग्रेस का नया अध्यक्ष एमएलसी अभिजीत वंजारी और नागपुर जिला ग्रामीण का अध्यक्ष प्रफुल गुड़धे पाटिल को बनाने के लिए कोशिश कर रहे.

उक्त रणनीति कर कभी एक-दूसरे के धुर विरोधी थे.एक शहर अध्यक्ष तो दूसरा ग्रामीण क्षेत्र से वरिष्ठ विधायक था,यह विधायक ग्रामीण के अलावा शहर में भी नियमित दखल दिया करता था,इस चक्कर में शहर अध्यक्ष से भिड़ंत भी होते सभी ने अनुभव किया।
इनके मध्य पिछले विधानसभा चुनाव के काल में हुआ,दोनों ने अपने-अपने प्रभाव से एक-दूसरे को बड़ी मदद की.दोनों विधानसभा सदस्य बने.क्यूंकि एक ही समाज के प्रतिनिधित्व कर रहे थे इसलिए मनोमिलन में ज्यादा अड़चन नहीं हुई,दूसरी ओर दिल्ली मजबूत होने के कारण इनके ही पक्ष के दूसरे वरिष्ठ भी विधायक बनने के बाद प्रभावी मंत्री के साथ जिले के पालकमंत्री बने,जो इन्हें खल गया और आजतक एक-दूसरे के राह में दोनों गुट रोड़े अटकाने का खेल जारी रखे हुए है.

दूसरी विधानसभा अध्यक्ष रहते नाना पटोले के कार्यशैली से अमूमन सभी नाराज होने का खामिजा उन्हें भरना पड़ा और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष छोड़ प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष की जिम्मेदारी स्वीकारनी पड़ी.पटोले के प्रभाव में आते ही कांग्रेस शहराध्यक्ष-ग्रामीण विधायक(वर्त्तमान में मंत्री) गुट(ठाकरे-केदार) शहर-जिला में खुद को मजबूत करने के लिए लामबंद होने लगे.इन्होने अपने ही गुट के खासमखास को शहर और ग्रामीण का नया अध्यक्ष बनाने के लिए पुरजोर प्रयास शुरू कर दिया है.

वंजारी को नया शहराध्यक्ष !

कांग्रेस में वर्त्तमान शहराध्यक्ष का कार्यकाल पूरा ही नहीं अधिक हो चूका है,नया अध्यक्ष बनाने के लिए दिल्ली/मुंबई स्तर से प्रक्रिया/समीक्षा/सुझाव लेने का क्रम जारी हो चूका है.शहर अध्यक्ष बदला जाए क्यूंकि अगले साल नागपुर मनपा चुनाव भी होने जा रहे है.ताकि पक्ष मजबूती सह समय पर उचित जिताऊ उम्मीदवार को चुनने में मदद मिले।

इस क्रम में ठाकरे-केदार गुट शहराध्यक्ष के लिए एमएलसी अभिजीत वंजारी का नाम प्रमुखता से चला रहे,क्यूंकि इनसे यह गुट खुद को सहज महसूस कर रहा.वंजारी फ़िलहाल स्नातक निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत 5-6 जिलों का विधानपरिषद में प्रतिनिधित्व कर रहे,ऐसे में शहर कांग्रेस अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने से उनका कार्यक्षेत्र काफी बढ़ जाएगा।इनका नाम इसलिए भी उक्त गुट चला रहा,क्यूंकि शहर अध्यक्ष के लिए प्रफुल गुड़धे पाटिल प्रयासरत है.इन्हें रोकने और इन्हें कहीं अन्य अर्थात ग्रामीण में दोहरा लाभ देने के लिए भी कोशिशें जारी है.इनकी और वर्त्तमान शहराध्यक्ष के मध्य को दोस्ती किसी से छुपी नहीं है.

अगला जिलाध्यक्ष प्रफुल गुड़धे पाटिल ?

वर्त्तमान जिलाध्यक्ष राजेंद्र मूलक का कार्यकाल समाप्ति से से ज्यादा हो चूका है,उनका आगे इस पद पर रहने की मंशा नहीं है। दूसरी तरफ वर्त्तमान शहराध्यक्ष MLA विकास ठाकरे का उनकी पीढ़ी में उनका धुर विरोधी प्रफुल गुड़धे पाटिल को समझा जाता है.यह खुद ठाकरे-पाटिल भी स्वीकार करते है.जब से केदार का ठाकरे से मनोमिलन हुआ तब से एक-दूसरे के कट्टर हितैषी हो गए.इस क्रम में ठाकरे के राह का कांटा पाटिल को शहर से बाहर करने का मंशा लिए केदार-ठाकरे गुट प्रफुल गुड़धे पाटिल को अगला जिलाध्यक्ष बनाने के लिए ताकत लगा रहे.यह भी कड़वा सत्य है कि केदार के लिए पाटिल-ठाकरे दोनों हमखास है.दोनों का राजनैतिक कैरियर आगे बढे इसलिए दोनों को लाभ पहुँचाने में कभी कोई कमी नहीं करते।

केदार की यह भी मंशा है कि प्रफुल गुड़धे पाटिल अगले विधानसभा चुनाव में बतौर MLA नज़र आए.इसलिए केदार अपने दूसरे सबसे बड़े धुर विरोधी मेघे परिवार (MLA SAMEER MEGHE) को घर बैठाने के लिए हिंगणा विधानसभा क्षेत्र से बतौर कांग्रेसी उम्मीदवार प्रफुल गुड़धे पाटिल को मैदान में उतारने की योजना बना रहे,प्रफुल गुड़धे पाटिल इस विधानसभा में पारिवारिक दृष्टि से काफी प्रभावी है,गर वे अगला विधानसभा चुनाव इस क्षेत्र से लड़े तो मेघे परिवार की नाक में दम कर सकते है,इसके अलावा इस क्षेत्र में केदार और ठाकरे काफी सक्रिय है,जिसका फायदा प्रफुल गुड़धे पाटिल को होना तय माना जा रहा है,इसकी भनक मेघे परिवार को हो चुकी है.

हिंदी भाषी विरोधी है MKT,इसलिए यादव पर की गई कार्रवाई

जिले के सर्वेसर्वा केदार/मूलक है,ऐसा उन्हें लगता है.ऐसे में कोई कार्यकर्ता आगे बढ़ जाए तो पेट में दर्द स्वाभाविक है.और तब यादव जैसे कार्यकर्ता जब मुकुल वासनिक/नितिन राऊत के खेमे के हो तो और भी ज्यादा तकलीफे बढ़ जाती है,नतीजा ऐसे कार्यकर्ता को घर बैठाने के लिए उक्त षड्यंत्र रच अंजाम दिया गया.इसलिए भी कि MKT हिंदी भाषी विरोधी है,इन्होने राजनैतिक दृष्टि से कभी भी किसी ऊर्जावान हिंदी भाषी को आगे नहीं बढ़ाया और न बढ़ने देना चाहते,सिर्फ इन जैसों को सुरक्षा रक्षक/BACK OFFICE संभालने की जिम्मेदारी देते रहे.
इसलिए भी यादव के खिलाफ कार्रवाई की गई क्यूंकि रामटेक विधानसभा क्षेत्र से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की तीव्र इच्छा राजेंद्र मूलक की है,उन्हें टिकट मिलने में यादव अड़चन देंगे,नतीजा KM ने संयुक्त रूप से खुन्नस निकालने के लिए पक्ष स्तर पर बड़ी कार्रवाई की.

अब देखना यह है कि उक्त योजना को साकार करने या नाकाम करने में पालकमंत्री नितिन राऊत क्या भूमिका अपनाते है या फिर उक्त मामले को नज़अन्दाज कर अपने और अपने परिजनों द्वारा तय ध्येय पूर्ति में हमेशा की तरह लीन रहेंगे और साथ में खुद को राष्ट्रिय नेता भी कहलाते रहेंगे। दूसरी ओर मुकुल वासनिक इस मामले में यादव का कितना साथ देते है,यह भी देखने लायक रहेगा।