Published On : Mon, Mar 11th, 2019

कांग्रेस का गढ़ रहे नागपुर में बढ़ाया गडकरी ने प्रभाव, अब फिर नागपुर से चुनावी दंगल में ठोकेंगे ताल

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नागपुर: महाराष्ट्र की उपराजधानी और विदर्भ का सबसे प्रमुख शहर नागपुर वैसे तो राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का गढ़ है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं. वर्तमान में यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में चार बार के सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को चुनाव हराया था.

नागपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखें तो नागपुर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस दो ऐसे चेहरे हैं जो बीजेपी में अच्छा ख़ासा दबदबा रखते हैं. साथ ही यहां आरएसएस की जमीनी स्तर पर बीते कुछ सालों में पकड़ काफी मजबूत हुई है. इसलिए राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अच्छी पकड़ का असर चुनाव में भी दिखाई देगा.

क्या रहा है इतिहास…
नागपुर लोकसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी. यहां अनुसूया बाई सबसे पहले 1952 में सांसद बनी. वो 1956 में चुनकर आई थी. इसके बाद 1962 में माधव श्रीहरि अणे यहां से निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद 1967 में नरेंद्र देवघरे कांग्रेस को वापस सीट दिलाने में सफल रहे. लेकिन नागपुर में विदर्भ को महाराष्ट्र से अलग करने को लेकर उठी आवाज ने कांग्रेस को यहां सत्ता से बाहर कर दिया. 1971 में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी के जामबुवंत धोटे चुनाव जीते. मालूम हो कि जामबुवंत धोटे अपने समर्थकों के बीच विदर्भ के शेर कहलाते थे. लेकिन 1977 के लोकसभा में उनकी हार हो गई. उन्हें कांग्रेस के गेव मनचरसा अवरी ने चुनाव हराया.

इसके बाद जामबुवंत धोटे कांग्रेस (I) से जुड़ गए. इसका फायदा उन्हें 1980 के चुनाव में भी मिला. वो जीते और लोकसभा पहुंचे. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ दिया और विदर्भ जनता कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. हालांकि, वो दोबारा लोकसभा में नहीं आए.

एक ऐसा नेता जिसने नागपुर में कांग्रेस को भी जीत दिलाई और बीजेपी को भी…
मालूम हो कि वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कांग्रेस को 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में जीत दिलाई. वो यहां से लगातार दो बार चुनाव जीते. इसके बाद जब बीजेपी ने राम मंदिर बनाने का मुद्दा छेड़ा तो बनवारी लाल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गए. उनकी जगह कांग्रेस ने दत्ता मेघे को टिकट दिया. दत्ता मेघे के हाथों बनवारी लाल पुरोहित की हार हुई. हालांकि, 1996 में बनवारी लाल पुरोहित ने दोबारा लोकसभा में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और वो जीतने में कामयाब रहे.

जब लगातार चार बार जीती कांग्रेस….
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार ऐसे इकलौते नेता रहे जिन्होंने 1998, 1999, 2004 और 2009 में कांग्रेस को लगातार जीत दिलवाई. इसका फल उन्हें कांग्रेस पार्टी में भी मिला. विलास मुत्तेमवार यूपीए की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे.

नितिन गडकरी पहली बार लड़े और जीते भी….
नितिन गडकरी नागपुर लोकसभा सीट से पहली बार 2014 में लोकसभा चुनाव जीते. उन्होंने कांग्रेस के विलास राव मुत्तेमवार को चुनाव हराया. इस बार भी कहा जा रहा है कि नितिन गडकरी दोबारा यहां से चुनाव लड़ेंगे. मालूम हो कि नितिन गडकरी मोदी सरकार के सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस वाले मंत्रियों में गिने जाते हैं.

6 विधानसभा क्षेत्र हैं नागपुर में
नागपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सभी 6 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का जबरदस्त दबदबा है. यहां की नागपुर साउथ वेस्‍ट (52), नागपुर साउथ (53), नागपुर ईस्‍ट (54), नागपुर सेंट्रल (55), नागपुर वेस्‍ट (56), नागपुर नॉर्थ (57) पर बीजेपी के विधायक हैं. इसके अलावा नागपुर से सटी बाकी विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी का ही कब्ज़ा है.

कैसा है जातीय समीकरण…
नागपुर के जातीय समीकरण की ओर देखा जाए तो यह सीट सवर्ण और दलित बाहुल्य सीट है. लेकिन हर चुनाव में यहां सवर्णों के वोट का असर दिखाई देता रहा है. यहां दलित उम्मीदवार महज एक या दो सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाते हैं. वहीं, सवर्ण समुदाय के प्रत्याशी यहां ज्यादा चुनकर आए हैं.