नागपुर– इस कोरोना महामारी ने इंसान को इंसान से दूर कर दिया हैं. लेकिन इस महामारी में भी कुछ लोग मानवता का फर्ज निभा रहे है. पिछले वर्ष जब कड़ा लॉकडाउन लगा था, तो इंसानों के साथ साथ लावारिस श्वानों को भी इससे परेशानी हुई. उनको कही से भी खाना नहीं मिल रहा था, ऐसे समय कई एनजीओ सामने आए और इन्होंने निस्वार्थ बेजुबान लावारिस श्वानों को दो महीनों तक अलग अलग परिसरों में भोजन उपलब्ध करवाया.
ऐसे ही नागपुर के स्वालंबी नगर में एक शख्स है,जो लावारिस बेजुबान श्वानों को हड्डी बिर्यानी खिलाते है. इनका नाम है रंजीत दादा.रंजीत कई वर्षो से लावारिस श्वानों को और अन्य पशु पक्षियों को भोजन करवाते है . रंजीत रोज़ाना हड्डी वाली बिर्यानी बनाते है जो यह लावारिस कुत्तो को खिलाते है. लॉकडाउन के बावजूद भी यह रोज़ सुबह और शाम को श्वानों को और सड़क पर जो जानवर मिले उसे भोजन खिलाते है. नागपुर के कई ऐसे बड़े चौक है. जहांपर पर यह श्वान रंजीत दादा के आने का इंतज़ार करते है.
रंजीत यह भोजन एक बाल्टी में लेकर जाते है, अपनी मोटर साइकिल पर , जैसे जैसे बाल्टी की बिर्यानी खत्म होती, वे फिर इसे भरने वापस अपने घर जाते हैं. रंजीत दादा की उम्र लगभग 50 साल की है पर इन्होने इस काम में कभी कभी छुट्टी नहीं ली है, वे निरंतर लगातार यह काम कर रहे है, और वे कई वर्षो से श्वानों के लिए बिर्यानी बनाते है . श्वानों के लिए भोजन एकजुट करने के लिए मेकोसाबाग के राहुल मोटवानी भी इनकी कई वर्षों से मदद कर रहे है. रंजीत ने साबित कर दिया ही, अगर मदद करने की इच्छा मन मे हो तो मदद करनेवाले किसी भी परिस्थिति में दूसरों की मदद कर सकते है.