नेता, अफसर, कार्यकर्ता सब परेशान
चिमूर। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते नेता, कार्यकर्ता अधिकारी और कर्मचारी भी अपना हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं. चुनाव की घोषणा के साथ ही लागू आचार संहिता चुनाव होने तक जारी रहेगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता के संबंध में अधिक जानकारी नहीं होने के कारण विभिन्न कार्यक्रमों में जाने को लेकर भय बना रहता है. उन्हेंं समझ ही नहीं आता कि किस कार्यक्रम में जाने से आचार संहित भंग हो जाएगी. नेताओं पर निर्वाचन आयोग के कार्यकर्ताओं की नजर रहती है. इन दिनों पदाधिकारियों के सामने-सामने नाचने वाले अधिकारी भी कार्रवाई के डर से दूर-दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे अधिक फजीहत शिक्षक संगठनों की हो रही है. एक़ पूर्व विधायक तो शिक्षकों को अपनी कक्षा छोड़कर प्रचार मुहिम में जाने के लिए दबाव डाल रहा है. गांव-गांव में कार्यकर्ताओं को मटन का भोज दिया जा रहा है. खुद के प्रचार के लिए शिक्षकों और विद्यार्थियों की बलि चढ़ाई जा रही है. सरकारी सेवा में कार्यरत शिक्षकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.